नमी की कमी से रबी की बुवाई की रफ्तार धीमी, दिवाली बाद ही पकड़ेगी रफ्तार
कई क्षेत्रों में मानसून की कम बारिश का असर दिखने लगा है, जिससे जमीन में नमी की कमी फसलों की बुवाई में आड़े आ रही है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही रबी फसलों की बुवाई की रफ्तार तेज होने लगती है। लेकिन चालू रबी सीजन की बुवाई की गति पिछले साल के मुकाबले बहुत धीमी हो गई है। कई क्षेत्रों में मानसून की कम बारिश का असर दिखने लगा है, जिससे जमीन में नमी की कमी फसलों की बुवाई में आड़े आ रही है। खासतौर पर उन फसलों की बुवाई ज्यादा प्रभावित हुई है, जिनकी बुवाई जमीन की स्वाभाविक नमी के आधार पर होती है।
कृषि मंत्रालय की ओर से जारी बुवाई आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल रबी सीजन के मुकाबले चालू सीजन में अभी तक बुवाई लगभग नौ फीसद पीछे चल रही है। पिछले साल अब तक 93 लाख हेक्टेयर रकबा में बुवाई हो चुकी थी, जबकि चालू सीजन में 84 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो सकी है।
दलहन फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल जहां 36 लाख हेक्टेयर तक हो चुका था, वह चालू साल में चार लाख हेक्टयर कम होकर केवल 32 लाख हेक्टेयर है।
दरअसल, मिट्टी की स्वाभाविक नमी में मोटे अनाज, दलहन और तिलहन की बुवाई सबसे पहले की जाती है। जारी आंकड़ों के मुताबिक मोटे अनाज वाली फसलों की बुवाई इस बार बहुत पीछे चल रही है। दो अक्तूबर 2018 तक केवल साढ़े नौ लाख हेक्टेयर रकबा में ही मोटे अनाज की फसलें बोई जा सकी हैं। जबकि पिछले साल इसी अवधि में कुल 16.52 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। तिलहन फसलों की बुवाई का रकबा जरूर पिछले साल के बराबर दर्ज किया गया है।
कृषि मंत्रालय को पूरी उम्मीद है कि नवंबर के दूसरे या तीसरे सप्ताह से मौसम में तापमान घटेगा, जिसके बाद ही गेहूं की बुवाई में तेजी आएगी। सरकार की ओर से रबी फसलों वाले सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के साथ सभी जरूरी बंदोबस्त करने को कहा गया है।
फर्टिलाइजर, गेहूं के उन्नत किस्म के बीजों की आपूर्ति के लिए संबंधित कंपनियों और बीज निगमों को निर्देश दे दिये गये हैं। रबी बुवाई अभियान के दौरान सभी राज्यों की जरूरतों को समय से पूरा करने का कृषि मंत्रालय की ओर से दावा किया गया है।