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पंचायत और जिला स्तर की जरूरत के अनुरूप युवाओं का होगा कौशल विकास, राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू

कौशल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अभी तक इसके तहत राज्यों की सक्रिय भागीदारी का अभाव था और प्रशिक्षण में स्थानीय उद्योग-धंधों की जरूरत को तवज्जो नहीं दी जा रही थी।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 10:13 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 10:20 PM (IST)
पंचायत और जिला स्तर की जरूरत के अनुरूप युवाओं का होगा कौशल विकास, राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू
पंचायत और जिला स्तर की जरूरत के अनुरूप युवाओं का होगा कौशल विकास, राज्यों के साथ विचार-विमर्श शुरू

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कौशल विकास के अगले चरण में पंचायत स्तर पर जरूरत के मुताबिक युवाओं के प्रशिक्षण की योजना तैयार होगी। इसके लिए राज्यों के साथ विचार-विमर्श का दौर शुरू हो गया है। इस सिलसिले में मंगलवार को राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में ओपन स्कूल की तरह आइटीआइ को राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्डो के डिग्री के समकक्ष लाने के तरीके पर भी चर्चा हुई। अभी तक प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत 92 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका हैं, जिनमें 39 लाख से अधिक महिलाएं हैं।

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तीसरे चरण में कमी को दूर करने का प्रयास

कौशल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अभी तक इसके तहत राज्यों की सक्रिय भागीदारी का अभाव था और प्रशिक्षण में स्थानीय उद्योग-धंधों की जरूरत को तवज्जो नहीं दी जा रही थी। इस साल अप्रैल से शुरू होने जा रहे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तीसरे चरण में इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत राज्यों को प्राथमिकता के आधार पर युवाओं के कौशल विकास के लिए जिला और पंचायत स्तर पर समितियों के गठन करने को कहा जा रहा है।

जिला समितियां बताएंगी किस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं

यही पंचायत और जिला समितियां बताएंगी कि उनके इलाके में किस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं हैं और वहां के युवाओं को किस तरह के कौशल विकास के प्रशिक्षण की जरूरत है। जिला और पंचायत समितियों की अनुशंसा के अनुरूप ही स्थानीय स्तर पर कौशल विकास की योजना तैयार की जाएगी। केंद्र की ओर से जिला व पंचायत समितियों को कौशल विकास के लिए अधिक धनराशि आवंटित किये जाने पर बल दिया जा रहा है।

कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि 'स्किल इंडिया की सफलता राज्यों और जिला समितियों की बढ़ी हुई भागीदारी पर निर्भर है, जो बाजार से संबंधित पाठ्यक्रमों में मांग संचालित कौशल विकास को चलाने के लिए और हमारे युवाओं को उद्योग तैयार करने के लिए तैयार करती है।'

आरटीआइ को जोड़ने पर विचार

स्थानीय स्तर पर कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ ही तीसरे चरण में राज्य शिक्षा बोर्डो से आइटीआइ को जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। फिलहाल राष्ट्रीय ओपल स्कूल की परीक्षा से आइटीआइ को जोड़ा जा चुका है। 2016 में प्रशिक्षण महानिदेशालय और एनआइओएस के बीच हुए समझौते के अनुसार आठवीं पास युवक यदि आइटीआइ का दो साल का कोर्स करता है, तो उसे 10वीं के बराबर और 10वीं पास युवा की स्थिति में 12वीं के बराबर की मान्यता की जाती है। लेकिन यह व्यवस्था राज्य शिक्षा बोर्डो में नहीं है, जबकि देश के अधिकांश छात्र 10वीं और 12वीं राज्य शिक्षा बोर्डो से ही करते हैं। अब राज्य सरकारों को आइटीआइ के कोस को राज्य शिक्षा बोर्डो से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।


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