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एनआरआइ को प्राक्सी वोटिंग का अधिकार देना गलत: येचुरी

येचुरी ने कहा कि इसके बजाए सरकार को चाहिए था कि एनआरआइ के लिए विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में मतदान केंद्र बनवाने का काम किया जाता।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 03 Aug 2017 09:33 PM (IST)Updated: Thu, 03 Aug 2017 09:33 PM (IST)
एनआरआइ को प्राक्सी वोटिंग का अधिकार देना गलत: येचुरी
एनआरआइ को प्राक्सी वोटिंग का अधिकार देना गलत: येचुरी

नई दिल्ली, प्रेट्र। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी का कहना है कि एनआरआइ (प्रवासी भारतीयों) को प्राक्सी वोटिंग का अधिकार देना गलत है। इससे एक गलत परंपरा को शुरू किया जा रहा है और ये आने वाले समय में परेशानी पैदा करेगी।

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येचुरी ने कहा कि इसके बजाए सरकार को चाहिए था कि एनआरआइ के लिए विदेशों में स्थित भारतीय दूतावासों में मतदान केंद्र बनवाने का काम किया जाता। लेकिन सरकार अपनी सुविधा के हिसाब से चल रही है। उन्होंने तंज कसा कि कहीं इसी वजह से तो विदेशों में ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है? येचुरी ने कहा कि अरब देशों में जो भारतीय नौकरी के लिए जाते हैं, उनमें से ज्यादातर के पासपोर्ट काम दिलाने वाली एजेंसी या संबंधित उद्योगपति जब्त कर लेता है। वो लोग किस तरह से निष्पक्ष होकर अपने मत का इस्तेमाल कर पाएंगे।

माकपा महासचिव ने कहा कि नोटबंदी ने तकरीबन 60 फीसद उद्योगों की कमर तोड़ने का काम किया है। मांग न होने की वजह से कई उद्योग बंद भी हो चुके हैं। उनका कहना था कि जीएसटी इस समस्या में इजाफा करेगा। उनका कहना था कि सरकार इस मामले में दोहरी नीति अपना रही है। एक तरफ तिरूपति बालाजी के लड्डू को टैक्स फ्री किया गया है वहीं स्वर्ण मंदिर में चलने वाले लंगर पर टैक्स लगाया जा रहा है। यही नहीं दिव्यांग जो सामान इस्तेमाल करते हैं उस पर पांच फीसद का टैक्स जीएसटी में लिया जा रहा है पहले ये शून्य था।

नीतीश प्रकरण के बाद विपक्ष मोदी सरकार का सामने करने में सक्षम नहीं

माकपा ने कहा है कि नीतीश प्रकरण के बाद विपक्ष मोदी सरकार का सामने करने में सक्षम नहीं है। पार्टी का कहना है कि विपक्ष का सारा दारोमदार क्षेत्रीय दलों पर है। जिस तरह से नीतीश ने करवट बदली है उसमें दूसरे दलों से क्या अपेक्षा की जा सकती है? माकपा का मानना है कि केवल कांग्रेस के सहारे मोदी सरकार का मुकाबला नहीं किया जा सकता है, क्योंकि कमोवेश कांग्रेस भी भाजपा जैसी पार्टी है। उस पर इसके नेता तेजी से भाजपा की तरफ पलायन करते जा रहे हैं। पार्टी का मानना है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए अवसरवादी गठबंधन की बजाये नीति पर आधारित एकता चाहिए।

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