Move to Jagran APP

देश की आजादी के बाद से अब तक खेल में इन हस्तियों ने रचा इतिहास

75 वर्षों में खेल के मैदान में हमारी यात्रा आसान नहीं रही है पल-पल जूझे हैं लड़े हैं गिरे हैं संभले हैं तब जाकर यहां खड़े हैं। खेल के मैदान से देश के इस जुझारू संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं महेश शुक्ल

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 01 Jan 2022 05:14 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jan 2022 05:14 PM (IST)
देश की आजादी के बाद से अब तक खेल में इन हस्तियों ने रचा इतिहास
ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा करोड़ों युवाओं की प्रेरणा हैं। प्रतीकात्मक

आजादी के बाद देश में खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब जैसी कहावत प्रचलित थी। एक आज का समय है जब 87.58 मीटर तक भाला फेंककर ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले नीरज चोपड़ा करोड़ों युवाओं की प्रेरणा हैं और माता पिता की बदली सोच का चेहरा। 75 वर्षों में खेल के मैदान में हमारी यात्रा आसान नहीं रही है, पल-पल जूझे हैं, लड़े हैं, गिरे हैं, संभले हैं तब जाकर यहां खड़े हैं। खेल के मैदान से देश के इस जुझारू संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं महेश शुक्ल:

loksabha election banner

लगान वसूला, सम्मान कमाया: स्वतंत्रता मिलने के अगले साल हुए 1948 लंदन ओलंपिक का जिक्र कम होता है। हम पर दो सौ साल से अधिक समय तक राज करने वालों का दर्प तब हमने उन्हीं की धरती पर गोरे समर्थकों के सामने खंड-खंड किया। पहली बार र्ओंलपिक में स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उतरे भारत ने मेजर ध्यानचंद की परंपरा जारी रखते हुए पुरुष हाकी के फाइनल में ब्रिटेन को 4-0 से पटककर स्वर्ण जीता। हाकी में और ओलंपिक स्वर्ण मिले, 1975 में विश्व कप मिला, लेकिन 1948 की जीत अजर-अमर हो गई। तमाम उतार-चढ़ाव देखते हुए 2020 टोक्यो र्ओंलपिक में एक बार फिर भावुक पल आए जब भारतीय हाकी टीम कांस्य पदक जीतने में सफल रही। इसके पहले रियो र्ओंलपिक में हम क्वार्टर फाइनल में बाहर हो गए थे। महिला हाकी खिलाड़ियों ने भी टोेक्यों में पदक नहीं जीता, लेकिन देश भर की शाबासी जीत ली।

ओलंपिक में वर्ष दर वर्ष बढ़ती ताकत: 1952 में पहलवान कसाबा जाधव, 1996 में लिएंडर पेस, 2000 में कर्णम मल्लेश्वरी, 2004 में राज्यवर्धन राठौर, 2008 में अभिनव बिंद्रा, गगन नारंग, विजेंदर, सुशील कुमार, 2012 में सुशील, विजय कुमार, एमसी मेरीकोम, साइना नेहवाल, योगेश्वर दत्त, 2016 में पीवी सिंधु, साक्षी मलिक और 2020 में नीरज चोपड़ा, मीराबाई, रवि दहिया, बजरंग पूनिया, सिंधु, लवलीना ने पदक जीता। जिम्नास्ट दीपा कर्माकर और पैरालंपियन देवेंद्र झांझरिया भी कुछ कम नहीं।

क्रिकेट: कर्म से धर्म तक का सफर: 1983 की विश्व कप जीत का उत्साह ब्लैक एंड व्हाइट टीवी वाली पीढ़ी से पूछिए। हमने अंग्रेजों को फिर पटखनी दी जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इंग्लैंड की दादागिरी के बावजूद अंग्रेजों से विश्व कप की मेजबानी छिनाकर भारत ले आया। क्रिकेट धर्म भी बना और अर्थ भी। 2007 टी20 विश्वकप और 2011 वनडे विश्वकप खिताब इस परंपरा के ध्वजवाहक बने। गावस्कर, कपिल, सचिन, धौनी, सौरव, द्रविड़, लक्ष्मण, कुंबले, विराट और रोहित जैसी समृद्ध वंशबेल है हमारे क्रिकेट वटवृक्ष की।

...ताकि न हों मैदान में फाउल

चुनौतियां अब भी अपार हैं। खेल संघों की जवाबदेही बढ़ानी होगी। चयन पारदर्शी हों।

केंद्र ने ध्यान बढ़ाया है, लेकिन इतना काफी नहीं है। सर्वोत्तम प्रशिक्षण और सुविधाएं देनी होंगी।

क्रिकेट से इतर बनी सोच समृद्ध करनी होगी।

सफलता के प्रतिमान रचते सितारे: प्रकाश पादुकोण, अभिन्न श्याम गुप्ता, पुलेला गोपीचंद, साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और किदांबी श्रीकांत बैडमिंटन के चमकदार सितारे हैं। माइकल फरेरा, गीत सेठी, पंकज आडवाणी (बिलियर्ड्स एंव स्नूकर), अंजू बाबी, हिमा दास (एथलेटिक्स) और पैरालंपियन दीपा मलिक, अवनि लेखरा को भी प्रणाम।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.