सांप्रदायिक हिंसा बिल देश के संघीय ढांचे के खिलाफ नहीं
सांप्रदायिक हिंसा विधेयक को लेकर विपक्ष के हमले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल इस विधेयक के बचाव में उतर आए हैं। उनका कहना है कि प्रस्तावित कानून देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। इसकी जरूरत इस वजह से है कि कई राज्य सरकारों पर वर्ग विशेष के खिलाफ हिंसा के दोषियों को बचाने का आरोप लगता रहा है।
नई दिल्ली। सांप्रदायिक हिंसा विधेयक को लेकर विपक्ष के हमले के बाद केंद्रीय कानून मंत्री कपिल सिब्बल इस विधेयक के बचाव में उतर आए हैं। उनका कहना है कि प्रस्तावित कानून देश के संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं करता। इसकी जरूरत इस वजह से है कि कई राज्य सरकारों पर वर्ग विशेष के खिलाफ हिंसा के दोषियों को बचाने का आरोप लगता रहा है।
सिब्बल ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि सांप्रदायिक हिंसा निरोधक विधेयक, 2014 प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से राज्यों की विधि व्यवस्था, पुलिस और लोक सेवाओं पर कानून बनाना नहीं चाहता। इसलिए यह संघीय ढांचे का उल्लंघन नहीं है। यह विधेयक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को उसकी जांच करने के लिए सक्षम बनाएगा जो अधिसूचित अपराधों के रूप में परिभाषित हैं। ऐसा केवल तभी होगा जब राज्य सरकारें अपनी सहमति देंगी। किसी भी मामले की ऐसी जांचों में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। भारत में एक धर्म हो या दूसरा समाज के दूसरे वर्गो को निशाना बनाते देखा गया है। इस तरह की घटनाओं के दौरान देश में देखा गया है कि राज्य सरकारें इस तरह के लक्षित अपराधों की जांच कराने को इच्छुक नहीं होतीं। वास्तव में सुप्रीम कोर्ट सहित कई अदालतें इस तरह की टिप्पणी करने को मजबूर हो गई हैं कि राज्य की जांच एजेंसियों ने जांच के दौरान केवल सुस्ती ही नहीं दिखाई बल्कि जान बूझकर अपनी जांचों को गलत दिशा में मोड़ा ताकि असली अभियुक्त को लाभ पहुंचे।
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राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली के इस विधेयक को बगैर अस्तित्व वाला बताने की आलोचना करते हुए सिब्बल ने कहा कि यदि उनके तर्क को स्वीकार किया जाए तो दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 भी असंवैधानिक है क्योंकि यह राज्य सरकार की अनुमति से सीबीआइ को मामलों की जांच की इजाजत देता है।
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