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विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होगी दूर, सरकार ने पीजी डिप्लोमा कोर्स को दोबारा किया शुरू

NBE स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्वायत्तशासी संस्था है। इसने एमबीबीएस पास करने वाले छात्रों के लिए आठ विशेष क्षेत्रों में दो साल का पीजी-डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sat, 29 Aug 2020 08:15 PM (IST)
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होगी दूर, सरकार ने पीजी डिप्लोमा कोर्स को दोबारा किया शुरू
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी होगी दूर, सरकार ने पीजी डिप्लोमा कोर्स को दोबारा किया शुरू

नई दिल्ली, प्रेट्र। जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) डिप्लोमा कोर्स को दोबारा शुरू किया है। एमबीबीएस करने वाले छात्र नीट-पीजी परीक्षा के जरिए इसमें दाखिला ले सकते हैं। कम से कम 100 बेड वाले अस्पताल राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (NBE) से मान्यता लेकर डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई शुरू करने के पात्र होंगे।

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एनबीई स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाली एक स्वायत्तशासी संस्था है। इसने एमबीबीएस पास करने वाले छात्रों के लिए आठ विशेष क्षेत्रों में दो साल का पीजी-डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किया है। ये आठ क्षेत्र हैं-ज्ञाननेंद्रि-विज्ञान (एनेस्थिसियोलॉजी), प्रसूति एवं स्त्री रोग, बाल रोग (पेडियाट्रिक्स), पारिवारिक दवा, नेत्र विज्ञान, रेडियोडायगनोसिस, ईएनटी एवं टीबी (तपेदिक) और चेस्ट डिजीज।

20 अगस्त को ये कोर्स शुरू करने की अधिसूचना जारी की

इन विषयों में पहले भी पीजी-डिप्लोमा कोर्स की पढ़ाई होती थी। लेकिन भारतीय चिकित्सा परिषद (पीसीआइ) ने मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए इन्हें डिग्री कोर्स में बदल दिया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनबीई से दोबारा डिप्लोमा कोर्स शुरू करने की संभावना तलाशने को कहा था। एनबीई ने नीति आयोग, एमसीआइ और स्वास्थ्य मंत्रालय से सलाह मशविरा करने के बाद डिप्लोमा कोर्स का खाका तैयार किया और उसके बाद 20 अगस्त को ये कोर्स शुरू करने की अधिसूचना जारी की।

मिल सकेंगे विशेषज्ञ डॉक्टर

एनबीई के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर पवनिंद्र लाल का कहना है कि डिप्लोमा कोर्स शुरू होने से जिला अस्पतालों को जरूरी विशेषज्ञ डॉक्टर मिल सकेंगे।

दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान प्राथमिक और दूसरे स्तर के अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी महसूस की गई। इसके चलते बड़े अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों पर भार पड़ा। इसी को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने दोबारा से पीजी-डिप्लोमा शुरू करने का फैसला किया था।

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