नाबालिग का आपराधिक रिकार्ड देख चौंक गए जज साहब
गिरफ्तारी के बाद हत्या के नए मामले में उसने फिर से जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में जमानत के लिए याचिका लगाई, लेकिन इस बार उसकी याचिका खारिज कर दी गई।
संदीप गुप्ता, नई दिल्ली। नाबालिग की जमानत याचिका जब साकेत जिला अदालत में पेश की गई तो उसके अपराध का इतिहास पढ़कर न्यायाधीश भी चौंक गए। 16 साल की उम्र में हत्या, हत्या के प्रयास, लूट व डकैती जैसे संगीन अपराध में नामजद किशोर के भविष्य का ख्याल करते हुए जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (जेजेबी) ने उसे जमानत दे दी थी। जेल से बाहर आते ही किशोर ने हत्या की एक और वारदात को अंजाम दे डाला।
गिरफ्तारी के बाद हत्या के नए मामले में उसने फिर से जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में जमानत के लिए याचिका लगाई, लेकिन इस बार उसकी याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद उसने सत्र अदालत में जमानत याचिका दायर की थी। दक्षिणी दिल्ली स्थित तिगड़ी जेजे कॉलोनी में रहने वाला यह नाबालिग बीते माह ही 16 वर्ष का हुआ है। पहली बार उसने 14 साल की उम्र में हत्या के प्रयास की वारदात को अंजाम दिया था। विशेष जज सत्येंद्र कुमार गौतम ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि इस नाबालिग पर उसके माता-पिता का कोई नियंत्रण नहीं है।
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पुलिस के आरोपपत्र को पढ़ने से यह पता चलता है कि गिरफ्तारी के वक्त उसके पास से कट्टा बरामद हुआ था। ऐसे में इस बात की आशंका प्रबल है कि अगर उसे जमानत दी गई तो भविष्य में भी वह कानून को ताक पर रखने से नहीं चूकेगा। दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का विरोध किया था। 2014 में नेब सराय थाने में उसके खिलाफ दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। पहले मामले में उसने एक शख्स को जान से मारने की धमकी देने के बाद उसकी हत्या करने का प्रयास किया था।
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वहीं, दूसरे मामले में उसने एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। जमानत पर बाहर आने के बाद उसने संगम विहार में हत्या की दूसरी वारदात को अंजाम दिया था।