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Chhattisgarh: शिवरीनारायण मेला शुरू, भगवान राम ने यहीं चखे थे शबरी के जूठे बेर

मंदिरों का शहर कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में पंद्रह दिवसीय माघ पूर्णिमा मेला आज से शुरू हो गया है। यह माघ पूर्णिमा से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलता है।

By TaniskEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 03:54 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 03:54 PM (IST)
Chhattisgarh: शिवरीनारायण मेला शुरू, भगवान राम ने यहीं चखे थे शबरी के जूठे बेर
Chhattisgarh: शिवरीनारायण मेला शुरू, भगवान राम ने यहीं चखे थे शबरी के जूठे बेर

जांजगीर चाम्पा, जेएनएन। मंदिरों का शहर कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण  में पंद्रह दिवसीय माघ पूर्णिमा मेला आज से शुरू हो गया है। इसमें शामिल होने के लिए क्षेत्र सहित दूरदराज के लोग आते हैं। यह माघ पूर्णिमा से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन ओडिसा के पुरी से भगवान जगन्नााथ चलकर शिवरीनारायण के मुख्य मंदिर में विराजते हैं। इस तरह शिवरीनारायण दो राज्यों की आस्था का केन्द्र है। यहां ओडिसा से भी भक्तगण बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि रामायण काल में अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम यहां आए थे और सबरी ने यहीं उन्हें अपने जूठे बेर खिलाए थे। भगवान जगन्नाथ और प्रभु श्रीराम से जुड़ इस आस्था के केंद्र में हर साल मेला सजता है। 

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भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान है शिवरीनारायण 

गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान शिवरीनारायण है। पहले भगवान जगन्नाथ का विग्रह शिवरीनारायण में ही था। कालांतर में शिवरीनारायण घनघोर जंगल था, जहां दूर से नित्य प्रतिदिन एक पुजारी भगवान का पूजन करने सुबह पहुंचते और भगवान का पूजन और भोग लगाने के बाद दोपहर विश्राम करते इसके बाद शाम होने से पहले भगवान जगन्नाथ की संध्या आरती करने के बाद अपने गंतव्य को वापस लौट जाया करते थे। पुजारी की इस क्रिया पर राजा के गुप्तचर बड़ी बारीकी से नजर रख रहे थे।

गुप्तचरों ने पुजारी की लड़की से पूछा कि उसके पिता रोज सुबह कहां जाते हैं। लड़की ने कहा कि उसे नहीं पता तब गुप्तचरों ने लड़की को एक युक्ति बताई। जब उसके पिता जाएं तब वह भी जाने की जिद करे और अपने साथ बाजरा को अपने हाथ से गिराते हुए जाए। यह कहकर गुप्तचर चले गए। दूसरे दिन जब पुजारी जाने को तैयार हुए तब पुजारी की बेटी ने भी साथ चलने की जिद की। बहुत जिद करने पर पुजारी ने अपनी बेटी की आँखों पर पट्टी बांधकर अपने साथ लेकर चलने लगे। 

पुजारी की बेटी अपने हाथ में रखे बाजरे को गिराते हुए जंगल के बीच स्थित भगवान के विग्रह के पास पहुंची। पुजारी ने लड़की की आंखों से पट्टी को निकाला, जहां भगवान जगन्नााथ की भव्य प्रतिमा थी। पुजारी और उसकी बेटी ने भगवान का पूजन किया, भोग लगाया। दोपहर विश्राम के बाद संध्या पूजन करने के बाद पुजारी और उनकी बेटी अपने घर को लौट गए। बाजरे के निशान पर गुप्तचर उस नियत स्थान पर पहुंचे, जहां उन्होंने भगवान की विग्रह का दर्शन किया और इसकी सूचना ओडिसा के राजा को दिया गया। ओडिसा के राजा महानदी के मार्ग से चलकर अपने लाव लश्कर के साथ शिवरीनारायण पहुंचे और भगवान का विधिवत पूजन करने के बाद भगवान जगन्नााथ की प्रतिमा को अपने रथ में लेकर जगन्नााथ पुरी आए और जगन्नााथ पुरी में भगवान की प्रतिमा को स्थापित किया। दूसरे दिन रोज की तरह पुजारी पूजन करने उसी स्थान पहुंचे परन्तु भगवान के नहीं होने से पुजारी विलाप करने लगे। 

पुजारी की भक्ती से प्रसन्न् हुए भगवान और दिया ऐसा आशीर्वाद 

पुजारी की भक्ति और सेवा से प्रसन्न् होकर भगवान जमीन से प्रगट होकर चतुर्भुजी रूप में पुजारी को दर्शन दिए और एक आशीर्वाद भी दिया कि शिवरीनारायण गुप्त तीर्थ होगा और वर्ष में एक बार अपने मूल निवास शिवरीनारायण में वापस आएंगे। ऐसा कहकर भगवान अर्न्तध्यान हो गए और भगवान शिला में परिवर्तित हो गए। पुजारी को दिए हुए अपने इसी वचन को निभाने और अपने भक्तों को दर्शन देने आज भी भगवान जगन्नाथ माघ पूर्णिमा को एक दिन के लिए अपने मूल निवास शिवरीनारायण धाम वापस लौटते हैं। श्री शिवरीनारायण भगवान की आरती पूजन का दायित्व भोगहा परिवार को मिला हुआ है।

लगभग 55 पुश्त से भोगहा परिवार भगवान श्री शिवरीनारायण की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। माघ पूर्णिमा को पुरी के भगवान जगन्नााथ का भोग शिवरीनारायण मंदिर में लगता है। माघ पूर्णिमा को पूरे मंदिर परिसर को फूलों से आकर्षक सजावट किया जाता है। भगवान शिवरीनारायण का आकर्षक वस्रों से मनमोहक श्रृंगार किया जाता है। मठ मंदिर के सर्वराकार राजेश्री महंत रामसुंदर दास ने बताया कि मंगलवार की सुबह 4 बजे शाही स्नान होगा उसके बाद 5 बजे भगवान नर नारायण की पूजा होगी। फिर मन्दिर का पट आमजनों के दर्शन के लिए खोला जाएगा। 

भगवान का आकर्षक श्रृंगार 

यहां मेले के दौरान नर नारायण भगवान का आकर्षक श्रृंगार किया जाता है। इसमें रत्न जड़ित मुकुट, नए स्वर्ण आभूषण तथा आकर्षक परिधनों व पुूल-मालाओं से भगवान के गर्भ गृह को सजाया गया है। शिवरीनारायण मठ मंदिर के मठाधीश की अगुवाई मे साधु संत त्रिवेणी सगंम में आस्था की डुबकी लगाकर शाही स्नान करेंगे, जिसमे बाजे-गाजे के साथ पूरे नगर भ्रमण करेंगे।

शिवरीनाराण धाम में वर्षो से लौट मारते हुए दूर दराज से भक्तगण आते हैं और भगवान शबरीनारायण से मनोकामना पूरा करने या होने पर लोट मारते हैं। भगवान सभी भक्तों की मनोकामना पूरा करते हैं, जिसके लिए प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में भक्तगण लोट मारते हुए आते हैं। शिवरीनारायण के नटराज चौक में विश्नवानाथ सुल्तानिया के बाड़े के पास लोट मारते हुए आ रहे भक्तों को नि:शुल्क मरहम पट्टी, दवाई व भोजन की व्यवस्था नारायण सेवा समिति द्वारा किया जाता है। इसका पूरा खर्च नगर के व्यापारीगण उठाते हैं, जिसमें नगर के सभी लोग नि: स्वार्थ सेवा देते हैं।


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