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Mahashivratri 2019: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सरहद पर अनोखा है शिव का यह धाम

गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर विशालकाय शिवलिंग और उस पर पहाड़ी की छत से टपकती पाताल गंगा की निर्मल जलराशि से मन किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 03 Mar 2019 10:42 PM (IST)Updated: Mon, 04 Mar 2019 12:16 AM (IST)
Mahashivratri 2019: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सरहद पर अनोखा है शिव का यह धाम
Mahashivratri 2019: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सरहद पर अनोखा है शिव का यह धाम

जगदलपुर [ दीपक पाण्डेय ]। यदि आप धार्मिक यात्रा में एडवेंचर और इको टूरिज्म का भी लुत्फ उठाना चाहते हैं तो गुप्तेश्वर से बेहतर जगह शायद ही मिले। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर और ओडिशा के कोरापुट जिले के सरहद पर रामगिरी पर्वत श्रृंखला के गुप्तेश्वर पहाड़ी पर स्थित गुफा के अंदर विशालकाय शिवलिंग और उस पर पहाड़ी की छत से टपकती पाताल गंगा की निर्मल जलराशि से मन किसी और ही दुनिया में पहुंच जाता है और सफर की पूरी थकान दूर हो जाती है।

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रोमांच भरा है सफर, पग-पग में है खतरा

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 300 किमी दूर संभाग मुख्यालय जगदलपुर से करीब 75 किमी की दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर का सफर बेहद ही रोमांच से भरा हुआ है। जगदलपुर-विशाखापटनम हाइवे पर 22 किमी दूर धनपुंजी गांव के पास यहां जाने के लिए कच्ची सड़क गुजरती है। इस मार्ग पर करीब 35 किमी दूर वनग्राम तिरिया पहुंचने के बाद रोमांचक सफर शुरू हो जाता है। यहां वन विभाग का नाका व विश्राम भवन है। जहां पंजीयन के बाद ही श्रद्धालु आगे बढ़ सकते हैं।

सर्पिली धूल भरी जंगल की सड़क, रास्ते के दोनों ओर साल-सागौन के ऐसे घने जंगल की सूर्य की रोशनी भी छन के नहीं आती, वीरान 17 किमी के एडवेंचर फॉरेस्ट के सफर के बाद अाती है चट्टानों पर चिंघाड़ती-दहाड़ती शबरी नदी आती है। यहां तक ही चार पहियों वाहनों से पहुंचा जा सकता है। यहां विशाल चट्टानों पर बांस की बनी चटाई पर गुजरते हुए लंबी कतार में बोल बम के नारे लगाते हुए नदी पार करना कम रोमांचकारी नहीं है।

नदी के उस पार ओडिशा और पहाड़ी श्रृंखला की हरियाली मन मोह लेती है। यहां पहाड़ी पर दो किमी की दूरी पैदल चलने पर गुप्तेश्वर की पहाड़ी का विहंगम द्श्य सामने आता है। 170 सीढियां चढ़कर मंदिर पहुंचा जा सकता है जहां पहाड़ी के अंदर गुफा में भारत के विशालकाय शिवलिंगों में से एक बाबा गुप्तेश्वर अवस्थित हैं। इस मार्ग पर शिवरात्रि और गर्मी के मौसम में ही जा सकते हैं।

शिवरात्रि आने पर वन विभाग फिर से बांस की चटाई का रास्ता तैयार करती है। वहीं साल में बारह महीने हाइवे पर ओडिशा के जैपुर से 60 किमी की दूरी तय कर गुप्तेश्वर पहुंचा जा सकता है।

शिवरात्रि में लगता है विशाल मेला

गुप्तेश्वर में वैसे तो साल भर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है पर सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि के दौरान यहां लंबी कतार लगती है। शिवरात्रि में मेला एक सप्ताह तक लगता है। ओडिशा, छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र तथा अन्य राज्यों से भी यहां श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैें। इस प्राकृतिक शिवालय की वास्तुकारी भी बेजोड़ है जिसे भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाए जाने की मान्यता है।

किवदंती यह भी है कि भस्मासूर से बचने के लिए शिवजी ने ब्राह्मण के रुप में यहां शरण ली थी। शिवजी के पगचिन्ह भी गुफा में है। यह कितना पुराना है इसके बारे में कोई नहीं जानता। इस शिवालय में भगवान भोलेनाथ को चावल का प्रसाद चढ़ता है।

दर्शन करने के बाद गरीब ब्राह्मणों को चावल का दान करने की प्रथा है जिसके लिए बड़ी संख्या में ब्राह्मण यहां पहुंचते हैं और शिवरात्रि के दिन इनके पास एक से डेढ़ क्विंटल चावल इकट्ठा हो जाता है।


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