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राम मंदिर ट्रस्ट गठन पर शंकराचार्य ने जताई नाराजगी

द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट पर आपत्ति जताई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 09:09 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 09:13 PM (IST)
राम मंदिर ट्रस्ट गठन पर शंकराचार्य ने जताई नाराजगी
राम मंदिर ट्रस्ट गठन पर शंकराचार्य ने जताई नाराजगी

नरसिंहपुर, जेएनएन। द्विपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मंदिर नहीं बना सकती, मंदिर का निर्माण केवल रामभक्त ही कर सकते हैं। ट्रस्ट में सरकारी व्यक्ति शामिल हैं और सरकारी व्यक्ति मंदिर नहीं बना सकते, क्योंकि सरकार संविधान से चलती है और संविधान धर्म निरपेक्ष है।

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ट्रस्ट बनाने पर आपत्ति

पिछले दिनों शंकराचार्य मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें ट्रस्ट बनाने पर ही आपत्ति है। इस विषय में वह केंद्र सरकार को नोटिस भेजेंगे। केंद्र सरकार मंदिर नहीं बल्कि एक स्मारक बना रही है। यह बात वह संतों को समझाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार मंदिर बनाएगी तो वह शराब के टैक्स आदि से प्राप्त राशि से बनेगा। लोगों से लिए गए कई तरह के करों से बनाया जाएगा, इसलिए सरकार मंदिर नहीं बना सकती।

पीएम ने किया ट्रस्‍ट के गठन का एलान 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में राम मंदिर ट्रस्ट के गठन का एलान किया था। 'श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' के नाम से गठित इस 15 सदस्यीय ट्रस्ट में एक ट्रस्टी अनिवार्य रूप से दलित होगा। ट्रस्ट के डीड में ही इसके नौ सदस्यों के नाम दे दिए गए हैं, जिनमें रामलला को सुप्रीम कोर्ट में जीत दिलाने वाले रामभक्त के. परासरन का नाम सबसे ऊपर है। इसके साथ ही 1989 में राम मंदिर का शिलान्यास करने वाले दलित कामेश्वर चौपाल का भी नाम इसमें शामिल है।

सभी सदस्यों का हिंदू होना अनिवार्य 

ट्रस्ट के सभी सदस्यों का हिंदू धर्मावलंबी होना अनिवार्य बनाया गया है। यहां तक कि यह शर्त उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत दो सदस्यों और अयोध्या के जिलाधिकारी के पदेन सदस्य होने पर भी लागू होगा। केंद्र सरकार की ओर से ऐसे सदस्य को ट्रस्ट में नियुक्त किया जाएगा, जो आइएएस अधिकारी होगा और संयुक्त सचिव के पद से नीचे के स्तर का नहीं होगा। इसी तरह उत्तर प्रदेश सरकार भी एक आइएएस अधिकारी को नियुक्त करेगी, जो राज्य में सचिव स्तर के नीचे का अधिकारी नहीं होगा। अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट के हिंदू धर्मावलंबी नहीं होने की स्थिति में वहां के एडिशनल मजिस्ट्रेट को ट्रस्ट में शामिल किया जाएगा।

निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास भी ट्रस्ट में

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार निर्मोही अखाड़े के प्रतिनिधि के रूप में महंत दीनेंद्र दास को भी ट्रस्ट में शामिल किया गया है। परासरन पहले ही ट्रस्ट में शामिल होने की सहमति दे चुके हैं। बाकी के सदस्यों की ओर से शाम तक सहमति आनी बाकी थी। सहमति के लिए उन्हें पंद्रह दिन तक का वक्त दिया गया है।


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