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शनि शिंगणापुर मंदिर विवाद सुलझा, अब महिलाएं भी कर सकेंगी पूजा

चार सौ साल पुराने शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उठा विवाद अब शांत हो गया है। मंदिर के ट्रस्ट ने महिलाओं को पूजा करने करनी अनुमति दे दी है। ट्रस्टियों ने कहा कि शनि की शिला के पास तो फिलहाल पुरुष भी नहीं जाते हैं लेकिन अगर

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2016 01:08 PM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2016 02:57 PM (IST)
शनि शिंगणापुर मंदिर विवाद सुलझा, अब महिलाएं भी कर सकेंगी पूजा

औरंगाबाद। चार सौ साल पुराने शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर उठा विवाद अब शांत हो गया है। मंदिर के ट्रस्टियों ने महिलाओं को पूजा करने की अनुमति दे दी है। इस मामले पर सहारनपुर जिले के देवबंद में महाकालेश्वर आश्रम के स्वामी दीपांकर ने बताया कि शनि मंदिर में महिलाओं को पूजा करने की इजाजत मिल गई है।

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हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अभी तक सिर्फ पुरूष ही शनिदेव की शिला पर तिलाभिषेक करते थे लेकिन फिलहाल उन्हें तिलाभिषेक करने से रोक दिया गया है। साथ ही साथ महिलाओं को भी तिलाभिषेक करने की इजाजत नहीं दी गई है। भविष्य में ट्रस्टी और आस पास के गांव के लोग आपस में मिलकर ये तय करेंगे कि 400 साल पुरानी इस परंपरा को हटाया जा सकता है या नहीं। लेकिन फिलहाल वर्तमान में शनि देव की शिला पर सिर्फ पुजारी को ही तिलाभिषेक करने का अधिकार होगा।

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ट्रस्टियों ने शनि भगवान की पूजा करने के लिए महिलाओं को आमंत्रित किया है और कहा है कि महिलाएं भी वैसे ही पूजा करेंगी जैसे सभी लोग करते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को यहां अब कोई नहीं रोकेगा वो अपनी पूजा कर सकती हैं। इस मामले को लेकर स्वामी दीपांकर ने मंदिर के ट्रस्टियों और सीईओ से मुलाकात की थी।

क्या था शनि शिंगणापुर विवाद

परंपरा के मुताबिक, शनि मंदिर में 400 साल से किसी महिला को शनि देव के चबूतरे पर जाकर तेल चढ़ाने या पूजन करने की इजाजत नहीं है। ट्रस्ट की मानें तो बॉम्बे हाईकोर्ट भी इसे सही ठहरा चुका है। 29 नबंवर, 2015 को एक महिला के शनिदेव के चबूतरे पर जाकर पूजा करने के बाद काफी विवाद हुआ। शिंगणापुर में पंचायत हुई और मंदिर का शुद्धिकरण किया गया था।

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वहीं, भूमाता ब्रिगेड और अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति की मेंबर रंजना गवांदे ने इसे शनि मंदिर में क्रांतिकारी घटना बताकर स्वागत किया था। 15 साल पहले भी शनि मंदिर पूजा को लेकर महिलाओं ने आवाज बुलंद की थी। तब जाने-माने रंगकर्मी डॉ. श्रीराम लागू इस मुहिम से जुड़े थे।

विवाद में अब तक क्या-क्या हुआ?

भूमाता ब्रिगेड की करीब 700 महिलाओं को पुलिस ने शिंगणापुर से 75 किलोमीटर पहले रोका और हिरासत में ले लिया। भूमाता ब्रिगेड की महिलाएं तृप्ति देसाई के साथ 6 बसों में पुणे से शनि मंदिर के लिए निकली थीं। जहां वे तेल चढ़ाकर परंपरा तोड़ने वाली थीं। इसके पहले मंदिर में पूजा के एलान के बाद गांव के लोगों ने मीटिंग बुलाई। भूमाता ब्रिगेड को रोकने के लिए गांव की महिलाओं ने भी आगे आईं।


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