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SCO Meet: मॉस्को से निकलेगी आगे की राह, जयशंकर और वांग की मुलाकात पर टिकी देश की निगाहें

पैंगोग झील के दक्षिणी इलाके में रणनीतिक पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने अपनी पोजीशन को मजबूत किया है उससे चीन की बेचैनी बढ़ गई है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 09 Sep 2020 09:09 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 07:38 AM (IST)
SCO Meet: मॉस्को से निकलेगी आगे की राह, जयशंकर और वांग की मुलाकात पर टिकी देश की निगाहें
SCO Meet: मॉस्को से निकलेगी आगे की राह, जयशंकर और वांग की मुलाकात पर टिकी देश की निगाहें

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। सीमा पर चीन से चल रही सैन्य तनातनी के बीच अब दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात पर सबकी निगाहें टिकी हैं। माना जा रहा है कि गुरुवार को मॉस्को में भारत और चीन के विदेशी मंत्रियों की मुलाकात से हालात सामान्य करने की दिशा में कोई राह निकल सकती है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने के लिए मॉस्को पहुंचे हैं। इस बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ अग्रिम मोर्चो पर दोनों देशों के सैनिक महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर अपनी-अपनी सीमा में डटे हुए हैं।

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जयशंकर और वांग की मुलाकात से मोदी-चिनफिंग के बीच वार्ता का रास्ता निकलने की उम्मीद

जानकारों का कहना है कि इस बात की उम्मीद कम है कि विदेश मंत्रियों की मुलाकात में कोई स्पष्ट हल निकल पाएगा। ऐसे में निगाह इस पर टिकी है कि जयशंकर और वांग यी पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच मुलाकात की जमीन तैयार कर पाते हैं या नहीं। एससीओ के सदस्य देशों के प्रमुखों की जल्द ही मॉस्को में बैठक संभावित है, जहां मोदी और चिनफिंग उपस्थित रह सकते हैं। विदेश मंत्रियों की मुलाकात से दोनों देशों के रणनीतिक सलाहकारों यानी एनएसए अजीत डोभाल व चीन के विदेश मंत्री के बीच वार्ता का रास्ता भी निकल सकता है।

एक दिन में तीन बार आमने-सामने होंगे भारत व चीन के विदेश मंत्री

मॉस्को में जयशंकर और वांग यी कम से कम तीन बार आमने-सामने होंगे। चीन के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि एससीओ के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली मुलाकात के अलावा भारत, रूस व चीन के विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक भी आयोजित की गई है। संभवत: इन दोनों बैठकों के बाद जयशंकर और वांग यी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी। इस बैठक से उम्मीद के बारे में जानकारों का कहना है कि जब सीमा चरम पर हो तो बार-बार बातचीत को मौका दिया जाना चाहिए।

बेनतीजा रही थी रक्षा मंत्रियों की बैठक

पिछले शुक्रवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंग की मुलाकात बेनतीजा रही थी। उस मुलाकात के बाद चीन की तरफ से भारत पर आरोप लगाने का सिलसिला तेज हुआ है। जवाब में भारतीय सैनिकों ने भी एलएसी मुस्तैदी बढ़ा दी है।

हर चालबाजी का दिया जवाब

रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इलाकों से पीछे नहीं हटने की भारतीय सेना की रणनीति को भेदने की नीयत से ही चीन के सैनिकों ने दो बार घातक हथियारों, नुकीली बíछयों व भाले आदि से लैस होकर भारतीय चौकी के पास जाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी से उन्हें पीछे हटना पड़ा।

सर्दियों के लिए तैयार

चुशूल, डेपसांग और पैंगोंग इलाके में लगातार दोनों तरफ से सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। दोनों देश यह मानकर चल रहे हैं कि अगले कुछ हफ्तों में सैनिकों की वापसी को लेकर कोई बीच का रास्ता नहीं निकलता है तो उन्हें भारी सíदयों के बीच सैन्य तैनाती करनी पड़ेगी। जानकार यह मानते हैं कि सर्दियों में तैनाती के लिहाज से भारतीय सैनिक ज्यादा तैयार हैं।

जब सीमा पर अस्थिरता चरम पर हो तो बार-बार वार्ता का मौका दिया जाना चाहिए

दोनों मंत्रियों की मुलाकातों से कितनी उम्मीद लगानी चाहिए, इस बारे में सूत्रों का कहना है कि जब दोनों देशों की सीमा पर अस्थिरता चरम पर हो तो बार-बार बातचीत को मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि हो सकता है कि जयशंकर व वांग यी के बीच मुलाकात का नतीजा भी वैसा ही हो जैसा पिछले शुक्रवार को रक्षा मंत्रियों की मुलाकात का हुआ है। भारत व रूस के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात मास्को में ही हुई थी, लेकिन उससे एलएसी पर तनाव खत्म करने में कोई मदद नहीं मिली है। रक्षा मंत्रियों के बीच मुलाकात के बाद जहां चीन की तरफ से भारत पर आरोप लगाने का सिलसिला तेज हुआ है तो एलएसी पर भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी भी बढ़ गई है।

पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर मजबूती से डटी भारतीय सेना से चीन बेचैन 

सूत्रों के मुताबिक 29-30 और 31 अगस्त को भारतीय सेना ने जिस तरह से पैंगोग झील के दक्षिणी इलाके में रणनीतिक पहाड़ियों पर अपनी पोजीशन को मजबूत किया है उससे चीन की बेचैनी बढ़ गई है। चीन को बढ़ती सर्दियों का भी एहसास है इसलिए पिछले दो दिनों के भीतर उसके सैनिकों की तरफ से भारतीय सैनिकों को हटाने की असफल कोशिश की गई है। भारतीय सैनिकों ने जिस जगह पर अपना परचम लहराया है वह ऊंचाई पर है। वहां से तकरीबन 200 मीटर दूरी पर कंटीले तारों की सीमा भी लगा दी है। चीन के स्थानीय कमांडरों को इसके बारे में सूचना भी दे दी गई है। कंटीले तारों की सीमा को पार करने पर सख्त कार्ररवाई की जाएगी।

चोटियों पर मजबूती से डटे सैनिकों को अस्थिर करने की हरकत की तो मुंहतोड़ जवाब देगा भारत 

सरकार से जुड़े उच्च सूत्रों के अनुसार पैंगोंग त्सो झील के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर तैनात भारतीय सैनिकों को वहां से अस्थिर करने की कोई कोशिश हुई तो इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। इस रुख से साफ है कि इस इलाके में सेना की मजबूत हुई पोजिशन से चीन की बढ़ रही बेचैनी और सामरिक रणनीति के लिहाज से भारतीय सैनिक एलएसी के मौजूदा गतिरोध के हल तक इन इलाकों से पीछे नहीं हटेंगे।

भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी से चीनी सेना को पीछे हटना पड़ा 

भारतीय सेना की इस रणनीति को भेदने की नीयत से ही चीन के सैनिकों ने दो बार घातक हथियारों, नुकीली बर्छियों व भाले आदि से लैस हो कर भारतीय सैनिकों की चौकी के पास जाने की कोशिश की है, लेकिन भारतीय सैनिकों की मुस्तैदी से उन्हें पीछे हटना पड़ा है। सनद रहे कि चुशुल, दासपांग और पैंगोग इलाके में लगातार दोनों तरफ से सैनिकों की संख्या बढ़ाई जा रही है। दोनों देश यह मान कर चल रहे हैं कि अगले कुछ हफ्तों के भीतर सैनिकों की वापसी को लेकर कोई बीच का रास्ता नहीं निकलता है तो उन्हें भारी सर्दियों के बीच सैन्य तैनाती करनी पड़ेगी। कई जानकार यह मानते हैं कि भारतीय पक्ष सर्दियों के लिए चीन से ज्यादा तैयार है।

तनावपूर्ण हैं हालात :

- एलएसी के कुछ अग्रिम मोर्चो पर कुछ सौ मीटर की दूरी पर डटी हैं दोनों सेनाएं

- पैंगोंग झील के किनारे भारतीय सैनिकों ने ऊंचाई पर मजबूत की है अपनी स्थिति

- अस्थिर करने की चीन की हर कोशिश का मुंहतोड़ जवाब देने की भी तैयारी

- पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत की मजबूती से बढ़ी है चीन की बेचैनी

- 200 मीटर दूरी पर कंटीली तारों की सीमा लगाकर चीनी कमांडरों को दे दी गई है जानकारी

- तारों की सीमा पार करने की कोशिश पर होगी सख्त कार्रवाई।


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