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एयरफोर्स अधिकारियों पर हमले के मामले में यासीन मलिक समेत सात पर 30 साल बाद हत्या के आरोप तय

जम्मू-कश्मीर में 30 साल पहले पांच एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या के मामले में JKLF के मुखिया यासीन मलिक समेत सात अन्य पर टाडा कानून के तहत आरोप तय कर दिए हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 10:06 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 11:48 PM (IST)
एयरफोर्स अधिकारियों पर हमले के मामले में यासीन मलिक समेत सात पर 30 साल बाद हत्या के आरोप तय
एयरफोर्स अधिकारियों पर हमले के मामले में यासीन मलिक समेत सात पर 30 साल बाद हत्या के आरोप तय

जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में 30 साल पहले पांच एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या के मामले में टाडा कोर्ट जम्मू (TADA court Jammu) ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (jammu kashmir liberation front, JKLF) के मुखिया यासीन मलिक (Yasin Malik) समेत सात अन्य पर टाडा कानून व आर्म्‍स एक्ट के तहत आरोप तय कर दिए हैं। कोर्ट ने मामले में यासीन के अलावा अली मुहम्मद मीर, मंजूर अहमद सोफी उर्फ मुश्तफा, जावेद अहमद मीर उर्फ नालका, नाना जी उर्फ सलीम, जावेद अहमद जरगर व शौकत अहमद बख्शी पर आरोप तय किए हैं।

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पांच अधिकारियों की हुई थी मौत

25 जनवरी 1990 की सुबह साढ़े सात बजे रावलपोरा में एयरफोर्स अधिकारी गाड़ी के इंतजार में सनत नगर क्रॉसिंग पर खड़े थे। अचानक आतंकवादियों ने उन पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी। इसमें महिला समेत 40 एयरफोर्स अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। जबकि तीन अधिकारी मौके पर शहीद हो गए और दो अन्य ने बाद में दम तोड़ दिया था। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी।

सीबीआइ ने शुरू की थी जांच

सीबीआइ जांच में साबित हुआ कि आरोपित शौकत अहमद बख्शी अप्रैल-मई 1989 और सितंबर-अक्टूबर 1989 में पाकिस्तान गया। वहां उसने आतंकी सरगना अमानुल्लाह खान के साथ बैठक कीं, जिसमें यह तय हुआ कि कश्मीर में अस्थिरता व दहशत फैलाने के लिए वहां तैनात एयरफोर्स अधिकारियों व अन्य सुरक्षाबलों पर हमले किए जाएं। वापस आने पर शौकत ने यासीन, जावेद अहमद मीर, मुश्ताक अहमद, नाना जी, मुहम्मद रफीक डार, मंजूर अहमद, जावेद अहमद व अन्य के साथ बैठक कर सुरक्षाबलों पर हमला करने की साजिश रची थी।

ऐसे दिया था वारदात को अंजाम

हमले को अंजाम देने के लिए लिए इन्होंने एक कार खरीदी। 25 जनवरी सुबह करीब साढ़े सात बजे यासीन व जावेद मोटरसाइकिल पर हथियार लेकर निकले। हथियारों से लैस नाना जी, मुश्तफा, शौकत बख्शी व मुहम्मद रफीक डार कार में निकले। सनत नगर रोड पर टैंकर के पीछे कार खड़ी कर दी। यासीन व जावेद ने गाड़ी का इंतजार कर रहे एयरफोर्स अधिकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। एयरफोर्स अधिकारी एमएल नथियान, यूएस रजवार, एससी गुप्ता, वीके शर्मा, ए अहमद, वीयू शेखर व बीएस धोनी को गोलियां लगीं। ए अहमद, वीयू शेखर व बीएस धोनी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।

...और खाली कर दी थी पूरी मैगजीन

नाना जी और दूसरे हमलावरों ने दूसरी तरफ खड़े 10-15 एयरफोर्स अधिकारियों पर गोलीबारी की, जिसमें आरसी जोशी, पीके मिश्रा व शीला श्रीवास्तबा घायल हुर्इं। शीला श्रीवास्तबा के पति एचसी श्रीवास्तबा की छुट्टी मंजूर हुई थी। वह पति के साथ जा रही थी। एयरफोर्स अधिकारी इधर-उधर भागने लगीं तभी यासीन ने इन पर भी गोलीबारी कर पूरी मैगजीन खाली कर दी। आरोपित मुश्ताक ने एक एयरफोर्स अधिकारी पर सात गोलियां चलाई जो उनकी टांग में लगी। दोनों मोटरसाइकिल पर सवार हुए और वहां से भाग रहे एयरफोर्स अधिकारियों का पीछा करते हुए उन पर गोलियां बरसाने लगे। बाद में दोनों भी कार में सवार होकर बाईपास रोड पर निकल गए।

रुबिया सईद अपहरण मामले में फैसला अभी बाकी

सीबीआइ सभी आरोप साबित करने में कामयाब रही। आरोप साबित करने के लिए सीबीआइ ने कई सुबूत व गवाह पेश किए। कई अन्य आरोपितों को सरकारी गवाह बनाकर पेश किया, जिससे सीबीआइ को आरोप साबित करने में मदद मिली। यासीन मलिक पर एयरफोर्स अधिकारियों की हत्या करने के अलावा रुबिया सईद का अपहरण करने का भी आरोप है। इस मामले में भी जल्द जल्द बहस होगी। सीबीआइ ने जांच पूरी करने के बाद 18 सितंबर 1990 को जम्मू की टाडा कोर्ट में आरोपितों के खिलाफ चालान पेश किया था।


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