देश में सीरो सर्वे बताएगा लोगों में बनी है एंटीबाडी, हर्ड इम्युनिटी से हैं कितनी दूर
आइसीएमआर के सीरो सर्वे पर सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCBM) के सलाहकार डॉ राकेश मिश्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकांश देशों में 80-90 फीसद मामले डेल्टा वैरिएंट के कारण होते हैं। लेकिन यह दो महीने में वैरिएंट के नए संस्करणों में बदल रहा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना वायरस अब डबल म्यूटेंट डेल्टा वैरिएंट हो चला है। अमेरिका और ब्रिटेन में हुए शोध में पता चला है कि पुराने वायरस के मुकाबले कोरोना के नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन यानी एमिनो एसिड में बदलाव (484 पोजिशन) हुआ है। इससे निपटने के लिए अब वैक्सीन को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए मंथन शुरू हुआ है। वायरस के खिलाफ एंडीबाडी और हर्ड इम्यूनिटी विकसित करने के लिए वैक्सीनेशन चल रहा है। इस बीच, कोरोना के नए वैरिएंट डेल्टा ने देश-विदेश में खलबली मचा दी है।
आइसीएमआर के सीरो सर्वे पर सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCBM) के सलाहकार डॉ राकेश मिश्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकांश देशों में 80-90 फीसद मामले डेल्टा वैरिएंट के कारण होते हैं। लेकिन यह दो महीने में वैरिएंट के नए संस्करणों में बदल रहा है। ब्रिटेन में कुछ रिपोर्टों ने सुझाव दिया है कि डेल्टा वैरिएंट कुछ पोषण प्राप्त कर रहा है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह अधिक हानिकारक होगा। सीरो सर्वे के बारे में उन्होंने कहा कि यह हमें उन लोगों में एंटी बॉडीज के बारे में भी बताएगा, जिन्हें पहले से ही टीका लगाया जा चुका है। देश में बड़े पैमाने पर सेरो सर्वे बहुत उपयोगी होगा। यह हमें संक्रमण दर का पता लगाने में मदद करता है और कितने में एंटी-बॉडी हैं, या हम हर्ड इम्युनिटी से कितने दूर हैं। यह हमें यह भी बताएगा कि देश की किस पार्टी में पॉजिटिविटी कम है।
It helps us find out the infection rate & how many have anti-bodies, or how far are we from herd immunity. It will also tell us which party of the country has less positivity: Centre for Cellular and Molecular Biology (CCBM) advisor Dr Rakesh Mishra on ICMR sero survey pic.twitter.com/JWso1Y44LX— ANI (@ANI) June 12, 2021
डॉ राकेश मिश्रा ने संभावित वुहान लैब लीक के सुझाव देने वाली रिपोर्टों पर कहा कि यह बहुत कम संभावना है कि इस तरह का कुछ प्रयोगशाला से आया हो। अधिक संभावना है कि यह चमगादड़ से एक जेनेटिक मूल है जो लोगों में फैल गया, कुछ समय के लिए वहां रहा और फिर कोविड-19 का दर्जा हासिल कर लिया।
उन्होंने कहा कि यह भी हो सकता है कि चमगादड़ से आया हो, उसने किसी और जानवर को संक्रमित किया हो। मूल बिंदु के रूप में चमगादड़ आनुवंशिक सामग्री के मामले में 96 फीसद समानता के साथ इस वायरस का निकटतम रिश्तेदार है।