वरिष्ठ लेखकों ने सोशल मीडिया पर ढूंढ लिया एक कोना, पाठकों से जारी है बातचीत
लॉकडाउन में कहीं लॉक नहीं हुए तमाम वरिष्ठ लेखक बल्कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सीख पाठकों से रुबरु हैं।
नई दिल्ली, [स्मिता]। सोशल साइट्स पर तो युवा कहानीकारों का बोलबाला रहता है। ममता कालिया, उषा किरण खान, नासिरा शर्मा... आदि जैसे कई वरिष्ठ लोकप्रिय कहानीकार हैं, जो इन दिनों फेसबुक लाइव के जरिये अपने पाठकों से सीधे संवाद कर उनके दिलों पर राज कर रहे हैं। ये सब एक झटके में नहीं हुआ, बल्कि कैमरे का सामना करने, फोन की तकनीकी बारीकियों को समझने के लिए उन्होंने खूब मेहनत की है। यकीन नहीं होता, तो उन्हीं की जुबानी जानिए...
पाठकों से जुड़ने का बेहतर माध्यम
एक बार फेसबुक लाइव करते हुए मेरा सेलफोन गर्म होकर बंद हो गया। किसी समय तो बिजली गुल हो गई थी। शुरुआत में तो फ्रेम ही ठीक से नहीं बनता था। जब फेसबुक लाइव होने का निश्चय किया, तो इन सारी परेशानियों से रूबरू हुए मशहूर उर्दू कवि और शायर गौहर रजा। गौहर आगे बताते हैं कि यदि घर में हैं, तो वहां खाना अवश्य पकेगा, कुत्ते के भौंकने की आवाज भी आ सकती है। फ्रेम में लोग इधर-उधर चलते हुए भी नजर आ सकते हैं और पंखे की खट-खट की आवाज तो होनी ही है। घर यदि स्टूडियो में तब्दील हो जाए, तो ये सभी दिक्कतें सभी के साथ होंगी। पर सबसे बड़ी बात यह है कि आपके विचार नहीं भटकने चाहिए। इन छोटी-छोटी समस्याओं से ऑडिएंस भी अवगत है, लेकिन फेसबुक लाइव पाठकों से जुड़ने का एक अच्छा माध्यम है।
यूं दी गई ट्रेनिंग
वाणी प्रकाशन की सीईओ अदिति महेश्वरी को शुरुआत में अपने प्रकाशन की तरफ से वरिष्ठ साहित्यकारों को फेसबुक लाइव या दूसरे किसी ऑनलाइन कार्यक्रम से जोड़ने में दिक्कतें आईं। वे मानती हैं कि थोड़े अभ्यास के बाद लेखक विशेषज्ञ बन गए। वे कहती हैं, मेरे कहने पर कम से कम एक दर्जन वरिष्ठ लेखकों ने पहली बार फेसबुक ज्वाइन किया और वे ऑनलाइन भी हुए। शुरुआत में इस बात का डर रहता था कि जिस दिन कार्यक्रम है, कहीं वे लोग भूल न जाएं। उन्हें 5-10 दिन प्रैक्टिस कराया गया कि फेसबुक में किस ऑप्शन को टच कर काम करना है। उन्हें वीडियो के लिए तैयार होकर बैठना होगा। साथ ही फोन किस स्थान पर रखना है और कैमरे का लेवल कहां रहे, यह भी बताना पड़ा। सबसे अच्छी बात यह रही कि भारत के साथ-साथ विदेश के हिंदी लेखक भी फेसबुक लाइव से जुड़े। किसी प्रकाशक ने बताया कि लेखकों को कम शब्दों में अपनी बात कहने पर भी जोर दिया गया।
समय की मांग बनी फेसबुक लाइव
प्रसिद्ध कथाकार ममता कालिया फेसबुक हो या व्हाट्सएप काफी एक्टिव रहती हैं। वे बताती हैं कि लगभग चार साल पहले रवींद्र कालिया जी से उनका साथ छूट गया। तभी से पुस्तकें और फेसबुक ही उनकी दोस्त हैं। जब वे किताबों से थक जाती हैं, तो फेसबुक देखती हैं। यह देखते हुए जब सोती हैं, तो जगने पर किताबें पढ़ती हैं। इसलिए कोरोना संकट का उन पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ा। लेकिन फेसबुक पर अपने विचार प्रकट करने से काफी अलग है फेसबुक लाइव। युवा लोगों से जुड़ने के लिए उन्होंने इस माध्यम को अपनाया। वे कहती हैं-बोलने में मुझे बहुत अधिक दिक्कत नहीं हुई, यहां पर चालीस साल के अध्यापन का अनुभव काम आया। हां तकनीक में मेरी जानकारी जरूर बेहद कम है। जैसा मुझसे कहा जाता है, वैसा मैं कर देती हूं। फोन सामने रखकर बोलने कहा जाता है, तो मैं ऐसा ही कर देती हूं। अपने-आपको बदलने में मुझे आनंद मिलता है। उनकी इस बात के आधार पर यह कहा जा सकता है कि फेसबुक लाइव समय की मांग है। इसी को देखते हुए लेखकों ने अपने-आपको ढाल लिया। ममता जी आगे बताती हैं कि सोशल साइट्स पर लोगों के व्यक्तित्व के अलग-अलग शेड्स देखने को मिलते हैं। अच्छी बात है कि सरकार ने इतनी सारी चीजें बंद की, लेकिन फेसबुक और व्हाट्सएप बंद नहीं किया। यदि वह किया जाता, तो मैं शायद अभी तक जीवित नहीं रहती। संप्रेषण के तो यही दो माध्यम हैं।
नई चीजों को सीखने में संकोच नहीं
लोकप्रिय उपन्यासकार उषाकिरण खान भी सोशल साइट्स पर बेहद सक्रिय रहती हैं। जब कई लेखकों का लाइव कार्यक्रम देखा, तो उन्होंने भी सामने आने का दृढ़ निश्चय कर लिया। वे स्वयं को बहुत निपुण तो नहीं मानती हैं, लेकिन धीरे-धीरे तकनीक की नई-नई बारीकियां सीख रही हैं। वे कहती हैं-पहले हिचकिचाहट थी। तकनीकी रूप से भी मैं कमजोर थी, पर मेरे साथ सबसे अच्छी बात यह है कि कुछ नई चीज सीखने में मैं जरा भी संकोच नहीं करती हूं। अपने से काफी छोटी लेखिकाओं से भी मैं अपनी रचनाओं को पढ़ने की गुजारिश करती हूं। यह सच है कि कुछ वरिष्ठ लेखक अब भी सोशल साइट्स से दूरियां बनाए हुए हैं, लेकिन तकनीक को निरंतर आगे बढ़ने की सीढ़ी बना लेना ही समय की मांग है। उषा किरण खान जानकारी देती हैं-सूर्यबाला, ममता कालिया, नासिरा शर्मा, मृदुला गर्ग आदि जैसी कई लेखिकाएं और लेखक हैं, जो फेसबुक लाइव प्लेटफार्म के माध्यम से सकारात्मक बातें पाठकों तक पहुंचा रहे हैं।