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दूसरी नकारात्मक हथियारों की आयात सूची वर्ष के अंत तक आने की संभावना

नकारात्मक हथियारों की आयात सूची तैयार करने का काम चीफ डिफेंस स्‍टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के अधीन सैन्य मामलों के विभाग को सौंपा गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 26 Aug 2020 06:42 PM (IST)Updated: Wed, 26 Aug 2020 06:42 PM (IST)
दूसरी नकारात्मक हथियारों की आयात सूची वर्ष के अंत तक आने की संभावना
दूसरी नकारात्मक हथियारों की आयात सूची वर्ष के अंत तक आने की संभावना

नई दिल्‍ली, एएनआइ। सैन्य क्षेत्र में स्वदेशीकरण को और बढ़ावा देने की मांग बढ़ गई है। इसके तहत रक्षा मंत्रालय दूसरी नकारात्मक हथियारों की आयात सूची तैयार करने पर काम कर रहा है, जो इस वर्ष के अंत तक जारी होने की संभावना है और इसमें और अधिक उपकरण शामिल किए जाने की उम्मीद है, जिस पर रोक लगा दी जाएगी, जिन्‍हें सशस्‍त्र बलों द्वारा आयात किया जा रहा है।

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इससे पहले पहली नकारात्मक आयात सूची नौ अगस्त को रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई थी, जिसने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (हल्‍के लड़ाकू विमान) की श्रेणी में आर्टिलरी गन, पारंपरिक पनडुब्बियों और लड़ाकू विमानों सहित 101 सैन्य वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इस बोर में रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि सैन्य मामलों के विभाग तीन डिफेंस बलों सहित सभी स्‍टेक होल्‍डर के साथ काम कर रहा है, ताकि सूची जल्‍द तैयार की जा सके और यह इस साल के अंत तक जारी होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभाग उस सूची को तैयार करने के लिए काम कर रहे हैं, जो स्वदेशी रक्षा फर्मों के लिए अधिक मौके पैदा कर रही है जो सैन्य हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर उत्पादन में काम कर रहे हैं और सशस्त्र बलों को विश्व स्तरीय उपकरण की आपूर्ति कर सकते हैं।

सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए भी काम कर रही है कि छोटी और बड़ी दोनों फर्मों सहित भारतीय रक्षा निर्माताओं को प्रक्रियागत मुद्दों के कारण समस्याओं का सामना न करना पड़े और रक्षा में कारोबार करने में आसानी बढ़े।

नकारात्मक हथियारों की आयात सूची तैयार करने का काम चीफ डिफेंस स्‍टॉफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत के अधीन सैन्य मामलों के विभाग को सौंपा गया है। सरकार द्वारा पहली सूची की घोषणा करने से पहले, घरेलू सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के उद्योग को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए जा रहे कदमों की भी जानकारी दी गई थी।

हर साल भारतीय सेना पूंजी और राजस्व दोनों प्रमुखों के तहत विभिन्न प्रकार के रक्षा हार्डवेयर प्राप्त करने के लिए दो लाख करोड़ रुपये खर्च करती है। सरकार चाहती है कि देश का निजी रक्षा उद्योग होना चाहिए, जो बड़े पैमाने पर प्लेटफार्मों का उत्पादन कर सके और देश के भीतर रोजगार प्रदान कर सके। नकारात्मक सूची में 101 सामान शामिल हैं, जिसमें तोपखाने की बंदूकें, असॉल्ट राइफलें, युद्धपोत, सोनार सिस्टम, पनडुब्बी, हल्के परिवहन विमान, हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH), रडार और हल्के लड़ाकू विमान जैसे कुछ उच्च प्रौद्योगिकी हथियार प्रणालियां शामिल हैं।


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