Stay Home Stay Empowered: वैज्ञानिकों ने बताया-कोरोना वायरस कब तक रहेगा हमारे बीच
वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को इम्यून होने में लंबा वक्त लगेगा। तब तक वायरस से बचना बेहद जरूरी है और हम वायरस को फैलने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं। इम्यूनिटी वैक्सीन से आएगी। साथ ही समय के साथ लोगों की इम्यूनिटी बेहतर होगी।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस एक साल बाद भी अमेरिका और भारत समेत दुनिया के कई देशों में बड़ी संख्या में लोगों को संक्रमित कर रहा है। पर अमेरिकी वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ वर्षों में कोरोना महामारी एंडेमिक (स्थानिक) बन जाएगी। यानी यह बीमारी लोगों के बीच इंफ्लूएंजा और सामान्य सर्दी की तरह हमेशा रहेगी, लेकिन यह कुछ इलाकों या लोगों तक ही सिमटकर रह जाएगी। और यह सब कुछ होगा मानव व्यवहार के कारण।
हर वायरस का एक पैटर्न होता है
पहले कहा गया था कि मौसम बदलने पर राहत मिलेगी और यह वायरस गर्मी में खत्म हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिका के जार्जटाउन स्थित ग्लोबल इंफेक्शन डिजीज प्रोग्राम की निदेशक एलेन कार्लिन कहती हैं कि हम जानते हैं कि कुछ वायरस कैसे व्यवहार करते हैं, यानी कैसे बीमारी फैलाते हैं। उनका मौसम के हिसाब से एक पैटर्न होता है, जैसे-इंफ्लूएंजा मौसमी बीमारी है। यह ठंड के मौसम में प्रभावी होता है, लेकिन गर्मी में इसका असर नहीं होता है।
कोरोना वायरस दूसरे वायरस से अलग
ग्लोबल इंफेक्शन डिजीज प्रोग्राम के असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन कार्लसन बताते हैं कि किसी खास मौसम में वायरस का प्रभावी होना कई पहलुओं पर निर्भर करता है। जैसे, सांस संबंधी वायरस मौसम की नमी और तापमान से प्रभावित होते हैं, क्योंकि नमी और तापमान से ही तय होता है कि कैसे ड्रॉपलेट्स और हवा में मौजूद कण बर्ताव करेंगे। पर कोरोना वायरस का मामला अलग है। यहां मौसम से ज्यादा इंसानों का व्यवहार जिम्मेदार होता है कि वायरिस कितना और कैसे फैलेगा।
जहां भी संक्रमण कम हुआ, वहां यह लोगों के कारण हुआ
एलेन कार्लिन कहती हैं कि हमने देखा है कि गर्मी में भी अमेरिका के कुछ हिस्सों समेत दुनिया के कुछ देशों में कोरोना वायरस तेजी से कम हुआ है, लेकिन ऐसा मौसम के कारण नहीं हुआ, बल्कि सरकारी पाबंदियों के कारण लोगों को भीड़ में जाने से रोका गया, मास्क पहनने पर जोर दिया गया और शारीरिक दूरी का पालन करने को कहा गया। इससे केस कम हुए। वहीं इसी वक्त अमेरिका के कई राज्यों में ज्यादा कोरोना केस सामने आ रहे थे। इससे साबित हुआ है कि कोरोना वायरस केस के बढ़ने या घटने का कारण मौसम से ज्यादा इंसानी व्यवहार है। असिस्टेंट रिसर्च प्रोफेसर कोलिन कार्लसन ने कहा कि कोरोना के शुरुआती दिनों को याद करना यहां उपयुक्त होगा, जब इस वायरस के प्रति लोगों की इम्यूनिटी काफी कम थी। इसलिए मौसम कैसा भी रहा हो, वायरस का फैलना इस बात पर निर्भर करता है कि दो लोग एक-दूसरे के कितने पास आ रहे हैं, वे एक-दूसरे को छू रहे हैं या नहीं या वे सामान को छू रहे हैं या नहीं। इसलिए तापमान से ज्यादा यह वायरस लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है।
बाद में कोरोना भी मौसमी बीमारी बन जाएगी
वैज्ञानिकों के मुताबिक, वायरस का खतरा तब तक है जब तक आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस वायरस के प्रति इम्यून नहीं हो जाता है। ऐसा होने के बाद ही संक्रमण की दर कम होगी। इसके बाद वायरस स्थिर हो जाएगा और यह हमारे साथ रहेगा। वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक बार यह स्थिति आने के बाद यह वायरस मौसम के हिसाब से घटेगा-बढ़ेगा।
हमें बड़ी जनसंख्या के इम्यून होने तक इंतजार करना होगा
वैज्ञानिक चेतावनी देते हैं कि जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को इम्यून होने में लंबा वक्त लगेगा। तब तक वायरस से बचना बेहद जरूरी है और हम वायरस को फैलने के लिए नहीं छोड़ सकते हैं। इम्यूनिटी वैक्सीन से आएगी। साथ ही समय के साथ साल दर साल इस वायरस के प्रति लोगों की इम्यूनिटी बेहतर होगी।
शोध की बड़ी बातें
यह न समझें की वायरस गर्मी में कम होगा।
ऐसा समझने से आप लापरवाही से रहेंगे और संक्रमित होने का खतरा बढ़ेगा।
शोध से साबित हुआ है कि मौसम नहीं, इंसानी व्यवहार इस बीमारी के फैलने का कारण है।
हमें अभी मास्क, शारीरिक दूरी और हाथ धुलने के नियम का पालन करना है।