प्रवासी भारतीय दिवस से पहले गंगा के अमृतमयी जल को लेकर वैज्ञानिकों का बड़ा खुलासा
वाराणसी में गंगा और वहां के घाटों का विशेष महत्व है। वाराणसी अपने अद्वितीय घाटों के लिेए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां के घाटों पर उपन्यास से लेकर फिल्में तक बनी हैं।
वाराणसी [कृष्ण बहादुर रावत]। हमारे वेद-पुराणों में गंगा के जल को अमृत की संज्ञा दी गई है। इसे इतना पवित्र माना जाता है कि पूजा-पाठ से लेकर कोई भी शुभ कार्य बिना इसके पूरा नहीं होता। इसीलिए गंगा को जीवनदायिनी भी कहा जाता है। गंगा के जल पर हमेशा से शोध होते रहे हैं। अब भारतीय वैज्ञानिकों ने गंगा के जल को लेकर बड़ा खुलासा किया है। बनारस में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस से ठीक पहले वैज्ञानिकों के इस खुलासे को गंगा के भविष्य के लिए काफी अहम माना जा रहा है।
पानी में बढ़ रहा पीलापन
वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जीवनदायिनी गंगा संकट में है। इसके लिए सिस्टम और हम सभी कठघरे में हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में डंके की चोट पर कहा है कि गंगा का यह जल इंसानी जिंदगी के लिए खतरा पैदा कर सकता है। बनारस में बीच धारा तक गंगा प्रदूषित हो चुकी हैं। गंगा नदी के पानी में लगातार पीलापन बढ़ रहा है। इससे वहां के घाटों को भी खतरा पैदा हो रहा है।
वैज्ञानिकों का सुझाव
गंगाजल में ऑक्सीजन का स्तर भी पहले के मुकाबले काफी कम हो चुका है। यदि नहीं चेते तो स्थिति और चिंताजनक होगी। अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो गंगा का भविष्य खतरे में पड़ सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि गंगा जल में पीएच वैल्यू अधिकतम सात होनी चाहिए। जांच में अस्सी से राजघाट तक पीएच वैल्यू 8.32 पायी गई है, जो निर्धारित मानक से काफी ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि गंगा के जल को स्वच्छ करने के लिए उसमें कपड़े धोने, पशुओं के नहलाने और अधजला शव बहाने पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।
क्या कहती है रिपोर्ट
अस्सी से राजघाट तक स्थित 84 घाटों के मध्य तक गंगा जल में पीएच वैल्यू काफी बढ़ गया है। विश्वसुंदरी पुल के पास गंदा पानी और नगवां नाले का पानी भी गंगा जल प्रदूषित करने में अहम रोल निभा रहा है। इससे निपटने के लिए अप स्ट्रीम में काम होना सबसे जरूरी है। रिपोर्ट में मध्य गंगा से दूसरे छोर तक पानी की गुणवत्ता कुछ बेहतर बती गई है, लेकिन स्थिति वहां भी संतोषजनक नहीं है।
विद्युत चालित शवदाह गृह करे पूरे वर्ष काम
बीएचयू के पर्यावरण वैज्ञानिक प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी ने बताया कि घाट की ओर कई स्थानों पर लोग कपड़े धोने के अलावा पशुओं को नहलाते हैं। इस पर तत्काल कड़ाई से रोक लगनी चाहिए। विद्युत शव दाह को बढ़ावा मिलना चाहिए। इसका पूरे वर्ष इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके लिए लोगों को जागरूक करना पड़ेगा।
शाही नाला हुआ बंद
प्रवासी भारतीय दिवस के पहले गंगा में पानी छोड़े जाने की प्रबल संभावना है। प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहा शाही नाला पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इससे डाउन स्ट्रीम का पानी थोड़ा स्वच्छ है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी एके आनंद ने बताया कि वह लोग जल निगम के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं। यदि वे लोग समय रहते जल शोधन की प्रक्रिया को पूर्ण कर लेते हैं तो जल साफ हो सकता है।
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