भारत में स्कूली छात्रों ने 18 नए क्षुद्रग्रहों की खोज की, नासा के सिटिजन साइंस परियोजना का हैं हिस्सा
भारतीय स्कूली छात्रों ने 18 नए क्षुद्रग्रहों की खोज की है। खगोलीय पिंडों को आधिकारिक नाम और पदनाम देने वाले अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (आइएयू) ने हाल ही में इसकी पुष्टि की है। वैश्विक विज्ञान कार्यक्रम के भाग के रूप में भारतीय छात्रों ने यह सफलता हासिल की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय स्कूली छात्रों ने 18 नए क्षुद्रग्रहों की खोज की है। खगोलीय पिंडों को आधिकारिक नाम और पदनाम देने वाले अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (आइएयू) ने हाल ही में इसकी पुष्टि की है। वैश्विक विज्ञान कार्यक्रम के भाग के रूप में भारतीय छात्रों ने यह सफलता हासिल की है। नासा के सिटिजन साइंस परियोजना के भाग के रूप में इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कोलेबरेशन (आइएएससी) के साथ ही स्टेम एवं स्पेस नामक संगठन द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह खोज परियोजना का आयोजन किया गया था। स्टेम और स्पेस संगठन भारत में खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान के शिक्षण की दिशा में काम करता है।
स्टेम एवं स्पेस के सह संस्थापक और शैक्षणिक प्रमुख मिला मित्रा ने बताया कि क्षुद्रग्रहों की खोज करने के लिए दो महीने तक चलने वाले इस अभियान में पिछले दो साल के दौरान भारत के 150 छात्र भाग ले चुके हैं। भारत में क्षुद्रग्रहों की तलाश की यह सबसे बड़ी परियोजना है।
दो बच्चों की मां ने मिस जर्मनी का खिताब जीता
दो बच्चों की मां ने 33 साल की उम्र में मिस जर्मनी का खिताब अपने नाम कर लिया है। आयोजकों का कहना है कि इस प्रतियोगिता में उनका जोर सुंदरता के बजाय महिलाओं की समझ और उनके व्यक्तित्व पर था। इस प्रतियोगिता में स्विमसूट वॉक का आयोजन नहीं किया गया। वास्तविक महिला सशक्तीकरण प्रतिस्पर्धा के फाइनल में अंजा कालेनबख ने जर्मनी के 15 अन्य राज्यों की प्रतिभागियों के बीच पहला स्थान हासिल किया। वह इससे पहले मिस थुरिंगिया रह चुकी हैं। प्रतियोगिता के फाइनल का शनिवार शाम को यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया गया। मिस जर्मनी के आयोजकों ने कहा कि इस प्रतियोगिता में 18 से 39 वर्ष की महिलाओं ने भाग लिया। उन्होंने दिखाया कि उनके मन में एक निश्चित लक्ष्य है और वे बेहतर कल के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रतियोगिता की एक प्रतिभागी पतली सुंदर है, विचार को चुनौती दे रही थी। एक अन्य ने धार्मिक पंथ के पतन पर ध्यान केंद्रित कर रखा था। तीसरी प्रतिभागी वेतन में लिंगभेद के खिलाफ लड़ रही थी।