Global Economy: पटरी पर लौटती अर्थव्यवस्थाएं जानिए किस देश में कितनी हटी पाबंदियां
Global Economy आइये चार्ट के जरिये जानते हैं कि पिछले महीनों की अनिश्चितताओं को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कितना खोला जा रहा है।
नई दिल्ली। Global Economy: कोरोना संकट से वैश्विक अर्थव्यवस्था में ठहराव आ गया है। लॉकडाउन और अन्य तरह की पाबंदियों के कारण देशों की अर्थव्यवस्थाएं बुरे दौर से गुजर रही हैं। हालांकि धीरे-धीरे चीजें फिर पटरी पर लौट रही हैं। कई देशों में लॉकडाउन खुलने और पाबंदियां हटने से यह लगने लगा है कि अर्थव्यवस्थाओं का पुराना और बेहतर वक्त लौटने की शुरुआत हो चुकी है। आइये चार्ट के जरिये जानते हैं कि पिछले महीनों की अनिश्चितताओं को पीछे छोड़ते हुए, दुनिया के प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं को कितना खोला जा रहा है। यह जानने के दो तरीके हैं, पहला मोबिलिटी रेट (गतिशीलता दर) और दूसरा कोविड-19 रिकवरी रेट है।
चार हिस्सों में समझिए क्या पड़ा फर्क
1- उच्च गतिशीलता, उच्च रिकवरी ऊंची रिकवरी रेट के परिणामस्वरूप इस हिस्से में शामिल देशों ने प्रतिबंध हटा लिए और लोग काम पर लौट रहे हैं। न्यूजीलैंड ने प्रारंभिक और प्रभावी उपायों के जरिये महामारी से निपटने में उल्लेखनीय कार्य किया है। यहां 98 फीसद रिकवरी रेट रही और यह सभी देशों में सर्वाधिक थी। अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए कई उपाय किए। साथ ही अब यह कोरोना मुक्त हो चुका है।
2- उच्च गतिशीलता, कम रिकवरी कोविड-19 से संबंधित रिकवरी की नीची दर के बावजूद इन देशों की गतिशीलता दर औसत से अधिक है। कुछ देशों ने लॉकडाउन उपायों में छूट दी है, जबकि कुछ देशों ने सख्त उपाय लागू नहीं किए। इसमें ब्राजील भी शामिल है, जहां लॉकडाउन को स्थगित करने के बाद देश में संक्रमण के रोजाना बहुत अधिक मामले सामने आ रहे हैं।
3- कम गतिशीलता, उच्च रिकवरी ये देश सुरक्षित रूप से आगे बढ़ रहे हैं। इसमें शामिल देश अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खोलने पर रोक लगा रहे हैं, जब तक की पूरी आबादी ठीक नहीं हो जाती है। इसमें इटली भी शामिल है। यह देश पुन: आने वाले मामलों को लेकर सावधानी बरत रहा है। इसने रिकवरी रेट बढ़ाने के लिए आर्थिक गतिविधियों को सीमित रखने का विकल्प चुना है।
4- कम गतिशीलता, कम रिकवरी ये वो देश हैं जहां पर लोग घरों में हैं और सरकार संकट से निपटने में जुटी है। इसमें शामिल ब्रिटेन के पास अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने का कोई खाका नहीं है। हालांकि यहां पर नए मामले सामने आने कम हुए हैं, लेकिन यहां यूरोप में सर्वाधिक मौते हुई हैं। वहीं 20 लाख मामलों के साथ अमेरिका भी इसी हिस्से में है। यहां के कुछ राज्यों ने व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिबंध को कम करने का विकल्प चुना है, जो संभावित रूप से मामलों को फिर से बढा सकता है। भारत भी इसी हिस्से में है।
कोविड-19 का भविष्य पर प्रभाव: यह ध्यान रखना होगा कि अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलने की योजना को नए मामलों की दूसरी लहर समाप्त नहीं कर दे। स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधियों के परस्पर जोखिम को देखकर लगता है कि इसका सीधा उत्तर शायद किसी के पास नहीं है।