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SCs/STs को पदोन्नति में आरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

वेणुगोपाल ने दलील दी थी SC/ST समुदाय के लोगों के लिए ग्रुप ए श्रेणी की नौकरियों में उच्चतर पद हासिल करना कहीं अधिक मुश्किल है। अब वक्त आ गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए शीर्ष न्यायालय को एससी एसटी तथा ओबीसी के वास्ते कुछ ठोस आधार देना चाहिए।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 08:15 AM (IST)
SCs/STs को पदोन्नति में आरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज
एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज

नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) को प्रोन्नति (प्रमोशन) में आरक्षण प्रदान करने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा। शीर्ष अदालत ने 26 अक्टूबर, 2021 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र ने पहले पीठ से कहा था कि यह जीवन का एक तथ्य है कि लगभग 75 वर्षों के बाद भी SC और ST के लोगों को अगड़ी जातियों के समान योग्यता के स्तर पर नहीं लाया गया है।

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जस्टिस एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले में महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) केके वेणुगोपाल, अतिरिक्त सालिसिटर जनरल (एएसजी) बलबीर सिंह और विभिन्न राज्यों की ओर से पेश हुए अन्य वरिष्ठ वकीलों सहित सभी पक्षों को सुना है।केंद्र ने पीठ से कहा था कि यह सत्य है कि देश की आजादी के करीब 75 साल में भी एससी/एसटी समुदाय के लोगों को अगड़े वगरें के समान मेधा के स्तर पर नहीं लाया गया है।

वेणुगोपाल ने दलील दी थी एससी और एसटी समुदाय के लोगों के लिए ग्रुप 'ए' श्रेणी की नौकरियों में उच्चतर पद हासिल करना कहीं अधिक मुश्किल है। अब वक्त आ गया है कि रिक्तियों को भरने के लिए शीर्ष न्यायालय को एससी, एसटी तथा ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के वास्ते कुछ ठोस आधार देना चाहिए।

पीठ ने पहले कहा था कि वह SC/ST कोपदोन्नति में आरक्षण देने के मुद्दे पर अपने फैसले को फिर से नहीं खोलेगी और कहा कि यह राज्यों को तय करना है कि वे इसे कैसे लागू करने जा रहे हैं। सुनवाई के दौरान पदोन्नति में आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से डेटा मांगा था, जिसमें दिखाया गया हो कि पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने का निर्णय प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता को लेकर मात्रात्मक डेटा पर आधारित था। कोर्ट ने कई सवाल किए थेे जैसे इतने दिनों तक सरकारी नौकरियों में ये व्यवस्था क्यों लंबित रखी गई, इस बाबत क्या आंकड़े हैं आदि। याचिकाकर्ता ने कोर्ट के सामने इंदिरा साहनी मामले का हवाला दिया। उनकी दलील थी कि उस फैसले के बाद भी अब तक अनुसूचित जाति और जनजातियों के लिए प्रमोशन में आरक्षण की व्यवस्था सुचारू तौर पर नहीं हो पाई है।


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