एनएसए लगाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज
याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय दिल्ली सरकार उत्तर प्रदेश आंध्र प्रदेश और मणिपुर को पक्षकार बनाया गया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय राजधानी और कुछ राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) लागू किए जाने को चुनौती देने वाली नई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इस कानून के तहत पुलिस के पास किसी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए 12 महीने तक हिरासत में रखने का अधिकार है।
अधिवक्ता एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने की संभावना है। याचिका में कहा गया है कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को कुचलने और प्रदर्शनकारियों पर दबाव बनाने के लिए एनएसए लागू किया गया है। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने 10 जनवरी को एनएसए के तहत दिल्ली पुलिस की हिरासत में लेने के अधिकार 19 जनवरी से तीन महीने के लिए बढ़ा दिए थे।
शर्मा ने याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मणिपुर को भी पक्षकार बनाया है। याचिका में सरकारी अधिसूचना को असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया गया है और इसे रद करने की मांग की गई है। यह घोषित करने की मांग भी की गई है कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एनएसए लागू नहीं किया जा सकता। साथ ही इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए हर व्यक्ति के लिए 50-50 लाख रुपये हर्जाने की मांग की गई है।
याचिकाकर्ता ने पुलिस को रासुका लगाने के लिए अधिकृत करने के लिए जारी अधिसूचना को अंसवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 19 (1) यानी भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद-21 यानी जीवन के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
याचिकाकर्ता ने अधिसूचना को खारिज करने और यह निर्देश देने की मांग की है कि इस कानून का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ नहीं किया जाएगा। साथ ही अब तक इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए लोगों को हुई मानसिक परेशानी और समाज में मानहानि के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की गई है।