केंद्र सरकार से SC ने कहा- CBI निदेशक के लिए प्रभारी की व्यवस्था उचित नहीं, प्रशांत भूषण की बात में है दम
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री एवं अन्य सदस्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक दो मई से पहले आयोजित करे। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पद के लिए प्रभारी की व्यवस्था नहीं चल सकती है।
नई दिल्ली, एजेंसी। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि सीबीआइ निदेशक की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री एवं अन्य सदस्यों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक दो मई से पहले आयोजित करे। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पद के लिए प्रभारी की व्यवस्था नहीं चल सकती है। न्यायमूíत एल नागेश्वर राव और विनीत सरन की पीठ को केंद्र ने सूचित किया कि समिति की बैठक दो मई के बाद होगी।
इसमें प्रधानमंत्री, सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता और भारत के प्रधान न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय के कोई न्यायाधीश शामिल होंगे।याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने सीबीआइ के नियमित निदेशक की नियुक्ति करने का निर्देश देने की मांग की। उन्होंने पीठ के समक्ष दावा किया कि केंद्र समिति की बैठक में विलंब कर रहा है, क्योंकि यह वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को दरकिनार करना चाहती है, जो 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सुनवाई के दौरान पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि सीबीआइ निदेशक के लिए प्रभारी की व्यवस्था नहीं चल सकती। पीठ ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा, भूषण जो कह रहे हैं उसमें कुछ दम है। वेणुगोपाल ने पीठ से कहा कि वरिष्ठतम व्यक्ति को सीबीआइ का अंतरिम निदेशक नियुक्त किया गया है। पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई 16 अप्रैल को करेगी।
उधर, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल ने इस आरोप के खिलाफ विरोध प्रकट किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में नेताओं की व्यस्तता के कारण बैठक नहीं हो पा रही। इसका मुख्य न्यायाधीश के रिटायरमेंट से कोई संबंध नहीं है। सुनवाई के दौरान प्रशातं भूषण ने कहा कि बिना नियमित निदेशक के एजेंसी का कामकाज प्रभावित हो रहा है। याचिका में कहा गया कि केंद्र सरकार दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैबलिशमेंट एक्ट 1946 के सेक्शन 4ए के तहत ऋषि कुमार शुक्ला की जगह दो फरवरी 2021, के बाद सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने में नाकाम रही। इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया कि सीबीआई को कार्यपालिका और राजनैतिक सत्ता की दखल से स्वतंत्र होकर काम करना चाहिए।