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सुप्रीम कोर्ट ने आइएनएस विराट को तोड़ने पर एक निजी कंपनी से मांगा जवाब

इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता रुपाली शर्मा से कहा कि युद्धपोत के संरक्षण को लेकर हमारी सोच भी आप जैसी ही है। लेकिन अब यह एक निजी संपत्ति बन चुकी है और इसका स्वरूप भी अब युद्धपोत जैसा नहीं रहा है। हम आपको एक हफ्ते का समय देते हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 08:12 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 08:12 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने आइएनएस विराट को तोड़ने पर एक निजी कंपनी से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने संरक्षित कर संग्रहालय बनाने की इच्छुक कंपनी को जवाब के लिए एक हफ्ता दिया

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त किए जा चुके विमानवाहक युद्धपोत 'आइएनएस विराट' को तोड़ने की मौजूदा स्थिति के बारे में एक निजी कंपनी से जानकारी मांगी है। साथ ही उसे बतौर संग्रहालय संरक्षित करने की योजना पर भी ब्योरा तलब किया है।

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सेंटूर क्लास विमानवाहक युद्धपोत आइएनएस विराट वर्ष 2017 में डीकमीशन्ड होने से पहले भारतीय नौसेना के लिए 29 साल सेवारत रहा है। पिछले साल सितंबर में विराट को तोड़ने के लिए मुंबई से अलंग शिपयार्ड ले जाया गया था। तब से उसे डिस्मेंटल किया जा रहा है। इसके अलावा, एक अन्य निजी कंपनी श्री राम ग्रुप ने गुजरात के भावनगर स्थित अलंग में 39.54 करोड़ रुपये में खरीद लिया है। पिछले साल जुलाई में इसकी नीलामी हुई। पिछले साल दिसंबर में इसे तोड़े जाना शुरू किया गया था।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी.रामासुब्रह्मण्यन की खंडपीठ ने इस मामले पर अगली सुनवाई 12 अप्रैल को सुनिश्चित कर दी है।

सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने आइएनएस विराट को तोड़े जाने पर स्थिति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही निजी कंपनी एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड से पूछा कि अगर एक निजी कंपनी की वैध खरीद के बाद युद्धपोत को 40 फीसद तोड़ा जा चुका है तो फिर उन्हें यह युद्धपोत एक संग्रहालय बनाने के लिए क्यों चाहिए।

कंपनी एनविटेक मरीन की प्रतिनिधि रुपाली शर्मा ने कहा कि विश्व भर में युद्धपोतों को संरक्षित किया जाता है। वह भी देखना चाहती हैं कि अब तक जहाज कितना तोड़ा जा चुका है और उसकी स्थिति कैसी है।

इस पर खंडपीठ ने याचिकाकर्ता रुपाली शर्मा से कहा कि युद्धपोत के संरक्षण को लेकर हमारी सोच भी आप जैसी ही है। लेकिन अब यह एक निजी संपत्ति बन चुकी है और इसका स्वरूप भी अब युद्धपोत जैसा नहीं रहा है। हम आपको एक हफ्ते का समय देते हैं। आप रिपोर्ट देखो और फिर अपना जवाब दाखिल करो। इस बीच श्री राम ग्रुप की ओर से पेश हुए राजीव धवन ने शर्मा की याचिका पर आपत्ति जताई है। श्री राम ग्रुप ने ही नीलामी में विराट को खरीदा था और वही उसे तुड़वा रहा है।


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