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Covid-19 India: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 उपचार पर दिशानिर्देश बदलने से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट कोरोना वायरस के मरीजों के अपचार को लेकर दायर याचिका पर कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Apr 2020 03:28 PM (IST)Updated: Thu, 30 Apr 2020 03:28 PM (IST)
Covid-19 India: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 उपचार पर दिशानिर्देश बदलने से किया इनकार
Covid-19 India: सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 उपचार पर दिशानिर्देश बदलने से किया इनकार

नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गंभीर रूप से बीमार कोरोना वायरस के रोगियों के लिए उपचार दिशानिर्देश को बदलने के लिए कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है। इसके तहत रोगियों को मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन (Antibiotic Azithromycin) का कॉम्बिनेशन दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में विशेषज्ञ नहीं है।

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जस्टिस एन वी रमना, संजय किशन कौल और बी आर गवई की पीठ ने एक गैर सरकारी संगठन NG पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट (People for Better Treatment) द्वारा दायर याचिका को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) का प्रतिनिधित्व माना। सुनवाई के दौरान ओहियो स्थित भारतीय मूल के डॉक्टर और पीबीटी अध्यक्ष कुणाल साहा ने कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस के लिए उपचार को नहीं बल्कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन के कॉम्बिनेशन के दुष्प्रभाव को चुनौती दी है क्योंकि लोग इसके कारण मर रहे हैं।

साहा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होकर कहा कि एक अमेरिकी हृदय संस्थान ने इशके दुष्प्रभावों को लेकर एक गंभीर चेतावनी जारी की है, जिस पर विचार किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि अभी तक कोविद -19 के इलाज के लिए कोई दवा नहीं है और डॉक्टर अलग-अलग तरीके आजमा रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले में विशेषज्ञ नहीं है और इलाज के तरीकों का निर्धारण करना डॉक्टरों का काम है और हम यह तय नहीं कर सकते हैं कि किस तरह का इलाज दिया जाए। पीठ ने साहा को आईसीएमआर के प्रतिनिधित्व के रूप में अपनी याचिका लेने को कहा, जो इसके सुझावों की जांच कर सकती है।

साहा ने कहा कि वह यह नहीं कह रहे हैं कि उपचार के लिए कोई विशेष करीका सही है या नहीं, लेकिन वह सिर्फ सावधानी बरतने के लिए कह रहे हैं क्योंकि लोग इसके दुष्प्रभावों से मर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक सूचित सहमति होनी चाहिए क्योंकि मरीज को यह जानने का अधिकार है कि उपचार के दौरान जोखिम शामिल है। शाह ने कहा कि डॉक्टरों को रोगियों को जोखिम के बारे में बताना चाहिए और उसकी सहमति लेनी चाहिए।

जनहित याचिका में कहा गया है कि हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन के उपयोग की सिफारिश स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सबसे गंभीर वोविड-19 रोगियों के लिए की गई थी। कई डॉक्टरों ने मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए भारत में अपने सबसे गंभीर रूप से बीमार सीओवीआईडी ​​-19 आईसीयू रोगियों के इलाज के लिए संयोजन का उपयोग करना शुरू कर दिया है।


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