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कोयला घोटाला मामला: ट्रायल के लिए भरत पराशर की जगह सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्त किए दो नए जज

सुप्रीम कोर्ट ने कोयला घोटाले मामले में सुनवाई के लिए दो जजों को नियुक्त किया है। ये दो जज हैं अरुण भारद्वाज और संजय बंसल जो 2014 से लंबित कोयला घोटाले मामलों का निपटारा करेंगे। इन मामलों को पहल स्पेशल जज भरत पराशर देख रहे थे।

By Monika MinalEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 01:10 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 01:10 PM (IST)
कोयला घोटाला मामला: ट्रायल के लिए भरत पराशर की जगह सुप्रीम कोर्ट ने  नियुक्त किए  दो नए जज
कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त किए गए दो जज

 नई दिल्ली, प्रेट्र। चर्चित कोयला घोटाले से जुड़े मामलों का ट्रायल पूरा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विशेष जज भरत पराशर की जगह दो नए जजों को नियुक्त किया है।  इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने  दो ज्यूडिशियल अधिकारियों अरुण भारद्वाज (Arun Bhardwaj) और संजय बंसल (Sanjay Bansal) की नियुक्ति की।  दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से विशेष जज भरत पराशर की जगह नए जज के लिए आग्रह किया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के एक पत्र का संज्ञान लिया  जिसमें जज पराशर की जगह लेने वाले किसी अन्य उचित पीठासीन न्यायिक अधिकारी को तैनात करने या नामित करने की अनुमति  मांगी गई थी। ये मामले वर्ष 2014 से लंबित हैं। इससे पहले विशेष जज भरत पराशर (Bharat Parashar) इन मामलों को देख रहे थे। उन्होंने करीब 40 मामलों की सुनवाई की और अब उनकी जगह दो नए जज आ रहे हैं। चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने पांच न्यायिक अधिकारियों के नामों पर विचार किया जो दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सुझाए गए थे। चीफ जस्टिस ने कहा कि सभी जज अच्छे हैं। इस बेंच में ए एस बोपन्ना  (A S Bopanna) और वी रामा सुब्रह्मण्यण (V Ramasubramanian) भी शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने हाई कोर्ट की ओर से पेश किए गए पांच नामों पर विचार करने के बाद दो नामों को तय किया है। सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर (PP) आर एस चीमा ने कहा कि एक जज के बजाय दो जजों की नियुक्ति की जानी चाहिए उन्होंने कहा कि 41 केस पेंडिंग हैं, ऐसे में दो जज होने चाहिए। इसके बाद दो नामों को तय किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट  ने वर्ष 2014 में उन 214 कोयला ब्लॉक का आवंटन खारिज कर दिया था, जिन्हें केंद्र सरकार ने 1993 से 2010 के बीच आवंटित किया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए लिया था। साथ ही कोर्ट  ने इस मामले में विशेष सीबीआई जज को मुकदमा चलाए जाने का भी आदेश दिया था।


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