निकाह को अमान्य ठहराने के फैसले को मुस्लिम नाबालिग लड़की ने SC में दी चुनौती
जस्टिस एनवी रमना जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट एक शादीशुदा नाबालिग मुस्लिम लड़की की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया है जिसने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने उसके निकाह को अमान्य घोषित करते हुए उसे अयोध्या स्थित शेल्टर होम भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को सही ठहराया था।
जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता लड़की 16 साल की है। उसने अपने वकील दुष्यंत पराशर के जरिये दायर याचिका में कहा है कि हाई कोर्ट ने इस तथ्य पर तवज्जो नहीं दी कि उसका निकाह मुस्लिम कानून के मुताबिक है। उसने कहा है कि उसके जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए। उसकी दलील है कि जिस व्यक्ति से उसने निकाह किया है, वह उससे प्यार करती है और उन्होंने इसी साल जून में मुस्लिम कानून के मुताबिक निकाह किया है।
लड़की के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक व्यक्ति और उसके साथियों ने उसकी पुत्री का अपहरण कर लिया है। इसके बाद लड़की ने मजिस्ट्रेट के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया था कि उसने अपनी मर्जी से उस व्यक्ति से निकाह किया है और वह उसी के साथ रहना चाहती है। इसके बाद ट्रायल कोर्ट ने 18 वर्ष की होने तक उसे बाल कल्याण समिति को भेजने का आदेश दिया था।
उसने इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने भी उसकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह नाबालिग है और उसके मामले से जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 2015 के मुताबिक निपटा जाएगा। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था, चूंकि वह अपने माता-पिता के पास नहीं लौटना चाहती थी इसलिए उसे शेल्टर होम भेजने का फैसला भी सही था।
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