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SBI ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों के लिए बदले नियम, जानें

गर्भवती महिला कैंडिटेट के लिए SBI ने नियमों में बदलाव किया है।इसके तहत अब तीन महीने से अधिक की गर्भवती होने पर महिला उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य करार दिया जाएगा। प्रसव होने के चार महीने के अंदर बैंक में अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकती है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 03:25 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 07:13 AM (IST)
SBI ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों के लिए बदले नियम, जानें
SBI ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों के लिए बदले नियम, जानें

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारतीय स्टेट बैंक ने गर्भवती महिला अभ्यर्थियों को लेकर कुछ नए नियम बनाए हैं। बैंक के मुताबिक अगर कोई अभ्यर्थी तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा। ऐसी महिला प्रसव होने के चार महीने के अंदर बैंक में अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर सकती है। इससे पहले छह महीने की गर्भावस्था वाली महिला उम्मीदवारों को विभिन्न शर्तो के साथ बैंक काम करने की अनुमति थी। इस कदम की अखिल भारतीय स्टेट बैंक आफ इंप्लाइज एसोसिएशन ने आलोचना की है।

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नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए अपने नवीनतम मेडिकल फिटनेस दिशानिर्देशों में बैंक ने कहा कि एक अभ्यर्थी को तभी फिट माना जाएगा जब वह तीन महीने से कम की गर्भवती हो। हालांकि अगर वह तीन महीने से अधिक की गर्भवती है तो उसे अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे की डिलीवरी के चार महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। 31 दिसंबर 2021 की नई भर्तियों और पदोन्नत लोगों के लिए चिकित्सा फिटनेस और नेत्र संबंधी मानकों के अनुसार ये नियम लागू होंगे। भर्ती के लिए यह नीति 21 दिसंबर, 2021 को मंजूरी की तारीख से प्रभावी होगी।

पदोन्नति के संबंध में संशोधित मानक एक अप्रैल, 2022 से लागू होंगे। शर्तो में यह भी शामिल है कि एक स्त्री रोग विशेषषज्ञ द्वारा जारी प्रमाणपत्र भी प्रस्तुत करना होगा कि ऐसी हालत में बैंक की नौकरी करने से उसकी गर्भावस्था या भू्रण के विकास में कोई दिक्कत नहीं होगी, स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा या उसका गर्भपात नहीं होगा। अखिल भारतीय स्टेट बैंक कर्मचारी संघ के महासचिव केएस कृष्णा के अनुसार, यूनियन ने कहा है कि बैंक द्वारा प्रस्तावित संशोधन ना केवल महिलाओं के खिलाफ हैं बल्कि यह गर्भावस्था को एक बीमारी/विकलांगता मानते हुए उनके साथ भेदभाव करता है। उन्होंने कहा कि एक महिला को बच्चा पैदा करने और रोजगार के बीच चुनाव करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। बता दें कि वर्ष, 2009 में भी बैंक ने इसी तरह का प्रस्ताव रखा था, लेकिन काफी हंगामे के बाद इसे वापस ले लिया गया था।


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