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थैंक्‍स टू कोविड-19 कहिए जनाब! ये नहीं होती तो मुश्किल था इतना सब कुछ होना, जानें कैसे

कोविड-19 की वजह से भारत ही नहीं पूरी दुनिया में कई तरह के सकारात्‍मक बदलाव देखने को मिले हैं। हालांकि इस तरह के बदलाव यदि लंबे समय तक रहेंगे तो इनका प्रभाव भी बेहतरी की तरफ जरूर दिखाई देगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 09:00 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 09:00 AM (IST)
थैंक्‍स टू कोविड-19 कहिए जनाब! ये नहीं होती तो मुश्किल था इतना सब कुछ होना, जानें कैसे
कोविड-19 से हुए हैं कुछ अच्‍छे बदलाव (फोटो-रॉयटर)

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। कहते हैं हर चीज के दो पहलू होते हैं। एक अच्‍छा और एक बुरा। वैश्विक महामारी कोविड-19 के साथ भी ऐसा ही कुछ है। इस महामारी ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। हालांकि दस माह के बाद इसकी वैक्‍सीन को लेकर उम्‍मीद जरूर बंध गई है। रॉयटर के मुताबिक पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्‍या 59,431,558 तक पहुंच चुकी है। वहीं इसकी वजह से अब तक पूरी दुनिया में 1,403,065 मरीजों की मौत भी हो चुकी है और 8,203,858 मरीज ठीक भी हुए हैं। वहींं इसका एक दूसरा पहलू भी है। ये पहलू इसकी वजह से हुए उन सकारात्‍मक पहलू को दर्शाता है जिसकी वजह यही महामारी बनी है। आइए डालते हैं ऐसे ही कुछ बदलावों पर एक नजर।    

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तकनीक में तेजी 

कोविड-19 महामारी ने भारत समेत कुछ देशों को स्‍वदेशी की तरफ बढ़ने का पूरा मौका दिया। इस महामारी के बाद देश ने आत्‍मनिर्भर होने की तरफ कदम बढ़ाया। भारत में जहां पहले टेस्‍ट किट से लेकर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्‍यूपमेंट विदेशों से मंगाने पड़ रहे थे वहीं बाद में इनका उत्‍पादन देश में ही किया जाने लगा। देश के विभिन्‍न शहरों और संस्‍थानों ने सस्‍ते और सुलभ होने वाले वेंटिलेटर का निर्माण अपने दम पर किया। भारत ने विदेशों को मास्‍क समेत कोविड-19 से बचाव में इस्‍तेमाल होने वाली दवाएं तक भेजी। ये सबकुछ बिना कोविड-19 के संभव नहीं था।

शादी ब्‍याह में सीमित संख्‍या से खर्च की बचत 

कोविड-19 महामारी के दौरान ये शादियों का दूसरा सीजन चल रहा है। पहले सीजन के दौरान भारत में लॉकडाउन लगा था। इसलिए शादियां बंद थीं। लेकिन अब जबकि देशभर में हर चीज खोल दी गई है तो कोविड-19 के मामले भी कुछ बढ़े हैं। इस दौरान कुछ शहरों में कोविड-19 की दूसरी और तीसरी लहर आने की भी बात की जा चुकी है। ऐसे में कई राज्‍यों की सरकारों ने शादी समारोह समेत अन्‍य समारोह पर काफी हद तक प्रतिबंध लगाया है। दिल्‍ली में बढ़ते मामलों को देखते हुए जहां शादी समारोह में गेस्‍ट की संख्‍या 50 तक सीमित की गई है वहीं उत्‍तर प्रदेश में ये संख्‍या 100 तय की गई है।

पहले बदलाव के बारे में नहीं थे तैयार 

वैश्विक महामारी की वजह से आया ये बदलाव भारतीय समाज के लिए काफी असमान्‍य जैसा है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि हमारे यहां पर शादी जैसे समारोह में पहले ये सोचते हुए लोगों को बुलाया जाता था कि यदि इन्‍हें नहीं बुलाया तो लोग क्‍या कहेंगे। इस तरह से ये फहरिस्‍त 500-1000 तक हो जाती थी। गेस्‍ट के नामों पर कैंची चलाना हमेशा मुश्किल होता था। इसके बाद इस पर होने वाला लाखों का खर्च अलग। कोविड-19 ने इसकी राह को बेहद आसान कर दिया। मौजूदा समय में जहां खुद लोग समारोह में शामिल होने से कतराने लगे हैं वहीं संख्‍या सीमित होने की वजह से गेस्‍ट बुलाने की समस्‍या भी खत्‍म हो गई है। लोग क्‍या कहेंगे, जैसा अब कोई सवाल ही नहीं रह गया है। इसकी वजह से शादी पर होने वाला लाखों का खर्च भी घटकर बेहद कम हो गया है। शादी जैसे समारोह में खाने की बर्बादी कोई नई बात नहीं रही है। कोविड-19 के चलते लगे प्रतिबंधों ने इसमें भी कमी ला दी है।

बच्‍चों को बस्‍ते के बोझ से राहत 

पूरी दुनिया में शिक्षा के नाम पर बच्‍चों के बस्‍ते लगातार भारी होते जाने पर कई चिंता जताई गई। बावजूद इसके इस समस्‍या का कोई उपाय नहीं निकल सका। कोवडि-19 महामारी ने इसके उपाय के तौर पर ऑनलाइन शिक्षा की राह खोली। वर्तमान में भारत समेत पूरी दुनिया में ऑनलाइन के ही जरिए क्‍लासेज चल रही है। इसके लिए तकनीक में भी सुधार हुआ। ऑनलाइन एजूकेशन के लिए बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्‍ध करवाई गई। शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस तरह का अमूलचूक बदलाव देखा गया। 

घर पर काम करना खुशी के साथ कुछ परेशानी 

कोविड-19 की वजह से देश और दुनिया में करोड़ों लोगों ने लॉकडाउन के दौरान भी घर से काम किया। जिन ऑफिसों में इस तरह की कल्‍पना तक नहीं की जा सकती थी वहां पर भी कोविड-19 ने इसको सुलभ बनाया। इस तरह से एक नई व्‍यवस्‍था ने भी जन्‍म लिया। कोविड-19 के बाद कई ऑफिस ऐसे भी हैं जिन्‍होंने अगले वर्ष तक अपने कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा उपलब्‍ध करवाई है। कोविड-19 की बदौलत करोड़ों लोगों को अपने घर में परिवार के बीच वक्‍त बिताने का भी पल मिल ही गया।

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