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Coronavirus: अवसाद और नकारात्मक विचारों को कहें अलविदा, पढ़े एक्सपर्ट की राय

डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि अवसाद का असर मनुष्य के आम व्यवहार पर पड़ता है। इससे उसे कार्य समाज और परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:04 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 04:04 PM (IST)
Coronavirus: अवसाद और नकारात्मक विचारों को कहें अलविदा, पढ़े एक्सपर्ट की राय
Coronavirus: अवसाद और नकारात्मक विचारों को कहें अलविदा, पढ़े एक्सपर्ट की राय

नई दिल्ली। आज भविष्य के अनुमानों को लेकर लोग चिंतित हैं। वे कई पक्षों पर विचार करके तनावग्रस्त भी हैं। कॅरियर और परिजनों की सुरक्षा की चिंता करते हुए कुछ लोग हताश-निराश और कुंठित भी हो रहे हैं। इन दिनों जिस तरह का वातावरण है उसमें व्यक्ति का निराश होना स्वाभाविक भी है लेकिन जीवन में सकारात्मकता से ही आगे की राह तलाशी जा सकती है। नई दिल्ली के तुलसी हेल्थ केयर के मनोचिकित्सक व निदेशक डॉ. गौरव गुप्ता।

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करें प्राचीनता का अनुसरण: जिस नई संस्कृति ने पहले प्राचीनता को परंपरागत बताकर इसकी उपेक्षा की, वही इसका अनुसरण करती नजर आ रही है। ध्यान की विभिन्न विधियां मन का तनाव दूर करके खुशहाली व आनंद प्राप्ति का माध्यम बन रही हैं। जीवन की आपाधापी से परेशान लोग अब ध्यान की शरण में आने लगे हैं। वे समझ रहे हैं कि ध्यान व्यक्ति को भीतर तक राहत पहुंचाता है, तभी इसकी तरफ बढ़ रहे हैं।

गड़बड़ाए न संतुलन: निरंतर तनावग्रस्त जिंदगी जीने से व्यक्ति का मस्तिष्क संतुलन जब गड़बड़ाने लगता है तो मनोमस्तिष्क में नकारात्मक द्वंद्व सा जन्म लेने लगता है। मस्तिष्क अपनी कार्य कुशलता खो देता है और इसके चलते व्यक्ति को दर्जनों मानसिक बीमारियां घेर लेती हैं। स्थिति कभी-कभी इतनी नाजुक हो जाती है कि मनोचिकित्सकों का इलाज भी बेअसर साबित होने लगता है। ऐसी अवस्था में व्यक्ति मानसिक तौर पर विक्षिप्त- सा हो जाता है।

ध्यान से करिए मन को काबू में: इन तमाम परेशानियों को हम ध्यान से दूर कर सकते हैं। ध्यान के जरिए हम सहज मानसिक संतुलन स्थापित करके स्वस्थ रह सकते हैं। इस संबंध में देश-दुनिया में अभी तमाम शोध जारी हैं और कई शोध परिणाम सामने आ चुके हैं। इनका मानना है कि ध्यान मनोविज्ञान के लिए बहुत उपयोगी है। यह आत्ममंथन का दौर है। कोरोना महामारी के कारण सभी अपने-अपने घरों में सळ्रक्षित तो हैं पर आत्ममंथन चल रहा है। अक्सर गंभीर समस्याओं का सामना करते हुए कुछ लोग हिम्मत हारने लगते हैं लेकिन अभी रुककर देखते रहने का समय है। तात्कालिक चिंताओं का इलाज दवाओं और मनोचिकित्सा से संभव है।

मनोचिकित्सा मुख्यत: ज्ञात व्यावहारिक उपचारों के लिए इस्तेमाल की जाती है। उपचार की यह विधि निराशावादी भावों को मन में आने से रोकती है तथा अव्यावहारिक अपेक्षाओं तथा अपने आप को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति को भी नियंत्रित करती है। मनोचिकित्सा अवसादग्रस्त व्यक्ति को जिंदगी की गंभीर और हल्कीफुल्की समस्याओं में भेद सिखाती है। यह आदमी को सकारात्मक लक्ष्य निर्धारित करने और सकारात्मक सोच बनाने में भी मदद करती है।

खुद में झांकने का वक्त: अवसाद का असर मनुष्य के आम व्यवहार पर पड़ता है। इससे उसे कार्य, समाज और परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गंभीर अवसाद आदमी के पारिवारिक जीवन को तबाह कर सकता है और कभीकभी अवसादग्रस्त व्यक्ति के जीवन को भी समाप्त कर सकता है। अवसाद एक मानसिक अवस्था है, जो आपकी सोच को प्रभावित करती है तथा आपके सामाजिक व्यवहार को भी प्रभावित करती है।

मानसिक शक्तियों को करें जाग्रत: वैज्ञानिकों का मानना है कि एक सामान्य व्यक्ति अपनी मानसिक शक्ति का सिर्फ 5 से 15 फीसद सदुपयोग कर पाता है। इसके विपरीत उसकी 85 से 95 फीसद शक्तियां निरर्थक या प्रसुप्त ही पड़ी रह जाती हैं। ध्यान के जरिए व्यक्ति अपने अंदर मौजूद मानसिक शक्तियों को जाग्रत करके सही दिशा में इस्तेमाल कर सकता है। तब यह उसकी चिंता और अवसाद को मिटाकर सफलता व आनंदानुभूति का साधन बन सकती हैं।

सकारात्मक रखें विचार : भविष्य के संकटों की ओर ध्यान देना छोड़ दें। आज यानी वर्तमान पर ध्यान दें। एक-एक दिन सफलतापूर्वक बिना संक्रमित हुए निकालें। बेवजह बाहर जाना छोड़ दें। इस दौर में अवसाद बढ़ सकता है, जिसका असर मनुष्य के आम व्यवहार, उसके कार्य, समाज, और परिवार के साथ सामंजस्य स्थापित करने पर पड़ता है। गंभीर अवसाद व्यक्ति के पारिवारिक जीवन का संतुलन बिगाड़ सकता है और ऐसे में कभी-कभी इसका बहुत ही घातक परिणाम सामने आता है। ऐसे में योग व मेडिटेशन करें। अपने साथ वक्त बिताएं और सकारात्मक रहें। याद रखें कि यह दौर भी एक दिन अवश्य ही बीत जाएगा।


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