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किडनी देकर बचाया एक-दूसरे का सुहाग

किडनी की अदला-बदली कर रेखा त्यागी व बलजीत कौर ने एक-दूसरे के पति की जिंदगी बचाई। इन दोनों महिलाओं ने किडनी खराब होने से मौत के करीब पहुंच चुके एक-दूसरे के पति को किडनी दान की। गाजियाबाद की रहने वाली रेखा ने उत्तराखंड की निवासी बलजीत कौर के पति जगपाल सिंह को और बलजीत कौर ने रेखा के पति स

By Edited By: Published: Wed, 25 Jun 2014 08:24 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jun 2014 08:24 AM (IST)
किडनी देकर बचाया एक-दूसरे का सुहाग

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। किडनी की अदला-बदली कर रेखा त्यागी व बलजीत कौर ने एक-दूसरे के पति की जिंदगी बचाई। इन दोनों महिलाओं ने किडनी खराब होने से मौत के करीब पहुंच चुके एक-दूसरे के पति को किडनी दान की। गाजियाबाद की रहने वाली रेखा ने उत्तराखंड की निवासी बलजीत कौर के पति जगपाल सिंह को और बलजीत कौर ने रेखा के पति संत कुमार त्यागी को अपनी किडनी दी।

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में डाक्टरों ने एक साथ, एक ही समय में छह घंटे की सर्जरी कर दोनों महिलाओं से किडनी लेकर संत कुमार त्यागी व जगपाल सिंह को प्रत्यारोपित कर दी। दोनों मरीज व महिलाएं स्वस्थ हैं। एम्स ने उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी है। अंगों की अदला-बदली से हुए इस सफल किडनी प्रत्यारोपण से रेखा व बलजीत कौर दोनों खुश हैं। एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. एसके अग्रवाल ने कहा कि दोनों करीब पांच से छह महीने पहले इलाज के लिए यहां आए थे।

किडनी खराब हो जाने के चलते इसके प्रत्यारोपण के अलावा और कोई विकल्प नहीं था। इसलिए उन्हें किडनी प्रत्यारोपण की सलाह दी गई। लेकिन दोनों ही परिवारों में मरीजों के समान ब्लड ग्रुप का डोनर नहीं मिला। रेखा त्यागी अपने पति को किडनी देना चाहती थी पर उसका ब्लड ग्रुप अलग था। परिवार में भी कोई डोनर नहीं मिला। जगपाल सिंह के परिवार में भी कुछ ऐसा ही हाल था। रेखा का ब्लड ग्रुप बलजीत कौर के पति से और बलजीत कौर का ब्लड ग्रुप रेखा के पति से मिल रहा था। उन्हें बताया गया कि वे यदि चाहें तो एक-दूसरे के पति को किडनी दान कर सकती हैं। ये दोनों इसके लिए तैयार भी हो गईं। इसके बाद एम्स ने अस्पताल के आथराजेशन कमेटी से स्वीकृति दे दी।

राज्यों से स्वीकृति लेने में आई दिक्कत:

अंगों की अदला-बदली के लिए संबंधित राज्य से स्वीकृति पत्र लेना जरूरी होता है। राज्य मरीज को आवासीय प्रमाण पत्र जारी करता है। ताकि अंगों की अदला-बदली की आड़ में अंग के दान का गलत व्यवसाय नहीं हो सके। रेखा ने बताया कि एम्स द्वारा पत्र जारी करने के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार से स्वीकृति मिलने में दिक्कत हुई। स्वीकृति के लिए लखनऊ गई वहां बताया गया कि गाजियाबाद से स्वीकृति पत्र मिलेगा।

डाक्टर को करना पड़ा फोन:

जगपाल सिंह हरिद्वार जिले के मीठी बेरी गांव के रहने वाले हैं। बलजीत कौर को उत्तराखंड से स्वीकृति लेने में दिक्कत हुई। एम्स के डाक्टर द्वारा फोन किए जाने के बाद स्वीकृति दी गई। स्वीकृति लेने में ढाई महीने लग गए।

एक साथ चार सर्जरी:

किडनी प्रत्यारोपण के लिए दो आपरेशन थियेटर तैयार किए गए और एक साथ चार सर्जरी की गई। दोनों महिलाओं से किडनी निकालकर इसे दोनों मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। डाक्टरों के अनुसार एक साथ सर्जरी इसलिए की जाती है कि एक की सर्जरी पहले होने पर बाद में उसका परिवार दूसरे को अंगदान करने से पलट न जाए। अंगों की अदला-बदली का एम्स में यह पहला अंग प्रत्यारोपण है। इसके लिए दो टीमें बनाई गई थीं।

एम्स में 80 वेटिंग:

एम्स में करीब 80 मरीज किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं। करीब साढ़े तीन महीने तक की वेटिंग चल रही है। एम्स में अब तक 2150 किडनी प्रत्यारोपण हो चुके हैं।

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