कोरोना वायरस से परिवार को और देश को बचाएं तभी हमारी अर्थव्यवस्था भी बचेगी
हम सभी जानते हैं कि संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा नाक और मुंह से ही होता है। फिर भी न जाने ऐसी लापरवाही क्यों कर रहे हैं?
कृष्ण कुमार। कोरोना वायरस से खुद को बचाएं, परिवार को बचाएं और देश को बचाएं तभी हमारी अर्थव्यवस्था भी बचेगी एक दिन मुङो एक अस्पताल के आपातकाल में जाना पड़ा। बिलिंग के काउंटर के लाइन में गोल घेरा वाली जगह में खड़ा था। तभी एक व्यक्ति टहलता हुआ आया और मेरे आगे खड़ा हो गया। टोकने पर बताया कि मुङो लगा कि इतनी जगह खाली है। मतलब लाइन में दूसरा कोई नहीं है। यह लापरवाही सिर्फ उस व्यक्ति के लिए ही नहीं पूरे समाज और देश के लिए खतरनाक है।
यह लापरवाही तब है जब भारत करीब 12 लाख कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या के साथ विश्व का तीसरा सबसे प्रभावित देश बन चुका है। हालांकि 61 फीसद रिकवरी रेट होने की वजह से यहां कुछ राहत की बात है, तथापि करीब 30,000 लोगों की मौत हो चुकी है। मौतों की संख्या के नजरिये से देखें तो भारत का स्थान आठवां है। माना जा रहा है कि यहां के लोगों की जीवनशैली, जलवायु और प्रतिरोधक क्षमता बहुत मजबूत है जो कोरोना को मात दे रहा है। पिछले सप्ताह के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि हर तीन दिन में भारत में संक्रमितों की संख्या एक लाख पार कर रही है। कोरोना वायरस तकरीबन हवा में तीन घंटे तक रह सकता है। जब से यह बात सामने आई है, चिंता और अधिक बढ़ गई है।
अब सवाल उठता है कि हम अपना बचाव कैसे करें? चाहे जो भी हो, एक आम आदमी के लिए सामान्य समझ तो यही कहती है कि हम सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देशों का पालन करें। विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य मंत्रलय या डॉक्टरों द्वारा जो निर्देश जारी किए जा रहे हैं उस पर ध्यान दें। सबसे जरूरी बात यह है कि हम अपना बचाव खुद करें। अनलॉक-2 के बाद जगह-जगह देखने को मिल रहा है कि अधिकांशत: लोग मास्क लगा कर नहीं चल रहे हैं। जगह-जगह चालान काटे जा रहे हैं। प्रारंभ में जो लोग मास्क लगाते थे उनमें भी लापरवाही आ रही है। पहले मास्क से नाक ढका रहता था। बाद में खिसक कर मुंह पर आ गया और कामकाज में व्यस्त होने की स्थिति में उनका मास्क मुंह से खिसक कर गले तक आ गया है।
हम सभी जानते हैं कि संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा नाक और मुंह से ही होता है। फिर भी न जाने ऐसी लापरवाही क्यों कर रहे हैं? स्पष्ट है कि हम मास्क का शत-प्रतिशत इस्तेमाल किए बिना बच नहीं सकते हैं। भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना ही होगा। हम जितना अपना बचाव कर सकेंगे उतना ही बेहतर होगा। तथापि बेवजह ज्यादा चिंता और नकारात्मक सोचना मानसिक तनाव को बढ़ाएगा ही और इसका असर शरीर के प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ेगा। खुद को बचा कर रखना, मास्क पहनना और शारीरिक दूरी का ख्याल रखना ही होगा। जान है तो जहान है। यही अंतिम सच है। खुद को बचाएं, परिवार को बचाएं और देश को बचाएं तभी हमारी अर्थव्यवस्था भी बचेगी।
(लेखक कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में सहायक अनुभाग अधिकारी हैं)