COVID-19 & Asthma: बचपन को बचाएं अस्थमा की नजर से, रखिए इन बातों का ध्यान
डॉ. हिमानी खन्ना ने बताया कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के लिए अच्छी दवाएं और उपकरण मौजूद हैं लेकिन कोरोना संक्रमण काल में पैरेंट्स को बरतनी होगी अतिरिक्त सावधानी...
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। हालांकि अब लगभग सभी लोग इसके प्रति जागरूक हो चुके हैं। अच्छी बात यह है कि चिकित्सकों के अनुसार, बच्चों में इसके संक्रमण का खतरा कम है। फिर भी हमें उनकी सुरक्षा को लेकर सजग रहना होगा। जिन बच्चों को अस्थमा की समस्या है, उनमें सांस लेने की तकलीफ के कारण कोरोना संक्रमण की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है। जानें क्या कहते हैं गुरुग्राम के बाल मनोविकास विशेषज्ञ डॉ. हिमानी खन्ना।
क्या है अस्थमा: अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है जिसके कारण सांस लेने में कठिनाई होती है। अस्थमा होने पर श्वास नलियों में सूजन आ जाती है जिस कारण श्वसन मार्ग सिकुड़ जाता है। श्वसन नली में सिकुड़न के चलते रोगी को सांस लेने में परेशानी, सांस लेते समय आवाज आना, सीने में जकड़न, खांसी आदि समस्याएं होने लगती हैं।
जैसा कि ज्ञात है कि कोरोना संक्रमण श्वसन प्रणाली पर घातक असर डालता है। ऐसे में चिकित्सकों के लिए यह बेहद जरूरी है कि वे पैरेंट्स को खुद के साथ ही बच्चों को इसके संक्रमण के बारे में विस्तार से जानकारी दें। पैरेंट्स को भी चाहिए कि चिकित्सकों की सलाह पर ही बच्चे को कोई भी दवा दें।
इमरजेंसी के लिए ब्रोंकोडाइलेटर्स और सांस लेने में मददगार इनहेलर्स घर में जरूर रखें। इनहेलर स्पेसर और मास्क भी घर में रखें और इनकी साफ-सफाई के प्रति पूरी तरह सजग रहें। जहां तक संभव हो सके, केवल खाई जाने वाली दवा की खुराक या सांस लेने वाले इनहेलर का ही इस्तेमाल करें।
चिकित्सक भी स्पेसर के साथ इनहेलर के प्रयोग की सलाह देते हैं। भले ही अब सशर्त बाहर निकलने की छूट मिल रही है पर संक्रमण के बढ़ते मामलों को संज्ञान में रखते हुए इससे बचने का हर तरीका अपनाते रहें। अगर घर का कोई सदस्य दफ्तर जा रहा है तो उसके लौटने पर स्वच्छता के प्रति पर्याप्त सावधानी बरतें। ध्यान रहे कि बच्चे या घर के किसी सदस्य में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिख रहे हों तो चिकित्सक से परामर्श लेने में कतई देरी न करें।
डॉक्टर इनहेलर थेरेपी का परामर्श इसलिए देते हैं क्योंकि यह संक्रमण को आसानी से नियंत्रित करता है और इसका असर भी जल्दी होता है। इनहेलर से दवा सीधे फेफड़ों में चली जाती है, जिससे रोगी को कुछ ही समय में राहत मिल जाती है और वह सामान्य हो जाता है।