Ayodhya Diary: फैसले के इंतजार में पूरी रौ में प्रवाहमान सरयू मैय्या
किसी भी आशंका से बेफिक्र वह अपने किनारे पर बैठने वालों को कहती प्रतीत होती हैं कि अयोध्या अपराजेय थी है और रहेगी...।
नवनीत श्रीवास्तव, अयोध्या। रामजन्मभूमि के पाश्र्व में प्रवाहित सरयू के दर्शन, स्पर्श, स्नान और जलपान की महिमा अनेक ग्रंथों में वर्णित है। रामचरितमानस में भगवान राम ने स्वयं जन्मभूमि व उत्तरावाहिनी मां सरयू की महिमा बताई है। रामजन्मभूमि विवाद के समाधान की हलचल भले ही देशदुनिया में महसूस की जा रही हो पर अभीष्ट (इच्छित) फैसले के इंतजार में सरयू मैय्या पूरी रौ में प्रवाहमान हैं। किसी भी आशंका से बेफिक्र वह अपने किनारे पर बैठने वालों को कहती प्रतीत होती हैं कि अयोध्या अपराजेय थी, है और रहेगी...।
दो पल सरयू किनारे खड़े होने पर ही अहसास हो जाता है कि अयोध्या के शांत, संयत और समभाव स्वभाव की अपराजेयता दुश्कर मौकों पर भी रही और अब भी है। वो भी तब जब, सबसे बड़े और लंबे मुकदमे का फैसला करीब है। पूरे परिवार के साथ दर्शन को आए प्रतापगढ़ के सुरेश पांडेय सुबह करीब 11 बजे नए घाट पर मिलते हैं। सरयू स्नान के बाद सूर्य को प्रणाम करते हैं। चंद मिनटों बाद मुखातिब होने पर कहते हैं कि अयोध्या की बात ही अलग है...। मिजाज अलग है। यहां शांति है और हमारे यहां क्या-क्या कहा जा रहा है। बाहर जैसी चर्चा है... अयोध्या में ऐसा कुछ भी नहीं।
हर साल कार्तिक मेले में अयोध्या आने वाले डुमरियागंज निवासी राधेश्याम पूरी बेफिक्री से कहते हैं कि हम अयोध्या को अच्छी तरह जानते हैं। वर्षों से यहां आ रहा हूं। जैसा पहले देखा था, अब भी सब कुछ वैसा ही है... शांत। मिजाज में कोई तब्दीली नहीं है। बंधा तिराहे पर मुलाकात में उन्होंने अपने साथ आए और लोगों को भी मिलाया। यह कहते हुए कि इनसे भी पूछ लीजिए। ये लोग भी हमेशा अयोध्या आते रहे हैं। रविवार के अवकाश का उपयोग टूर के रूप में करते हुए कई लोग मिले। मवई के कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्राएं नए घाट पर आचमन करती दिखती हैं।
इसी विद्यालय की शिक्षक शिखा सिंह कहती हैं, अयोध्या न पहले डिगी थी और न अब। वे कहती हैं सब कुछ अच्छा ही होगा। स्कूली टूर पर अंबेडकरनगर से आए साधना पब्लिक स्कूल के विद्यार्थी व शिक्षक रामलला और हनुमानजी का दर्शन कर क्रमबद्ध ढंग से नए घाट की ओर बढ़ते मिलते हैं। यह पूछने पर कि फैसले की घड़ी में अयोध्या आने पर किसी प्रकार की आशंका तो नहीं थी? शिक्षक सुधीर कहते हैं- हम अयोध्या को अच्छी तरह जानते हैं। फैसला जो भी हो पर रामनगरी स्थिर स्वभाव का ही परिचय देगी। सुरेश पांडेय, राधेश्याम, शिखा और सुधीर जैसे कई लोग मिले जो फैसले को लेकर उत्साहित तो हैं पर संयमित और दृढ़ अयोध्या को लेकर निश्चिंत भी...।