संयुक्त किसान मोर्चा की राजनीतिक दलों को सलाह, पंजाब में चुनाव अभियान से रहें दूर
किसान मोर्चा ने चुनावी माहौल बनाए जाने को आंदोलन के खिलाफ साजिश करार दिया है। मोर्चा ने एक बयान जारी कर कहा कि बीते कई माह से आंदोलन चल रहा है। ऐसे में चुनावी अभियान आंदोलन विरोधी साबित होगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। कृषि कानून विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने राजनीतिक दलों से पंजाब में चुनाव अभियान से दूर रहने को कहा है। साथ ही, मोर्चा ने चुनावी माहौल बनाए जाने को आंदोलन के खिलाफ साजिश करार दिया है। मोर्चा ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि बीते कई माह से आंदोलन चल रहा है। ऐसे में चुनावी अभियान आंदोलन विरोधी साबित होगा।
बयान में कहा गया है कि आमतौर पर चुनाव से संबंधित प्रचार और अभियान चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू होते हैं। हम विभिन्न राजनीतिक दलों से इस संबंध में असामान्य स्तर की गतिविधि देख रहे हैं, जो पहले से ही बिना किसी कारण के चुनाव अवस्था में आ रहे हैं। इससे निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि यह ध्यान भटकाने के लिए रची जा रही साजिश है। अगर वे वास्तव में किसानों के संघर्ष के समर्थक हैं, तो उन्हें अभी चुनाव प्रचार से दूर रहना चाहिए।
बयान में कहा गया है कि मुजफ्फरनगर में महापंचायत के लिए तैयारी अंतिम चरण में है। इससे मोर्चा के मिशन उत्तर प्रदेश की शुरुआत होगी। इस महापंचायत में भाग लेने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में बैठकें हो चुकी हैं। इस संयुक्त आयोजन के लिए किसान संगठन अपने-अपने कार्यकर्ताओं को लामबंद कर रहे हैं।
मोर्चा ने कहा कि भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों के खिलाफ विरोध बढ़ रहा है और हरियाणा व हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों को आंदोलनकारियों की तरफ से उनके आगामी कार्यक्रमों के लिए चेतावनी भी दी गई है। बता दें, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को पांच सितंबर को एक कार्यक्रम में रेवाड़ी आना है।
मोर्चा ने कहा है कि करनाल हिंसा पर हरियाणा सरकार की चुप्पी और पूर्व एसडीएम आयुष सिन्हा के तबादले से स्पष्ट हो जाता है कि वह किसके आदेश पर काम कर रहे थे। मोर्चा छह सितंबर तक कोई कार्रवाई नहीं होने पर करनाल के लघु सचिवालय की घेराबंदी शुरू करेगा। मोर्चा ने गुरुवार को पंजाब के मोगा में हुई ¨हसा में दर्ज मामले तत्काल वापस लेने की मांग भी की है। बयान बलबीर सिंह राजेवाल, डा. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढू़नी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव की तरफ से जारी किया गया।