सैनिटाइजर ने बढ़ाया महुआ का भाव, बिक रहा 5200 रुपये प्रति क्विंटल; स्किन को भी नहीं होता नुकसान
शराब निर्माण के उपयोग में आने वाली कई अन्य सामग्रियों की कीमतों में कोई खास फर्क नहीं आया है। महुआ का भाव ही लगातार बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली कंपनियों द्वारा महुआ खरीदी है। मुंबई की सैनिटाइजर कंपनियों में महुआ की मांग सबसे ज्यादा है।
राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। कोरोनाकाल में महुआ का भाव उछाल मार रहा है। गांवों में देसी शराब तैयार करने के लिए बड़ी मात्रा में प्रयुक्त होने वाले महुआ की मांग सिर चढ़कर बोल रही है। लेकिन यह अब सिर्फ नशे का सामान नहीं रहा। शराब के साथ-साथ सैनिटाइजर निर्माण इकाइयां भी बड़े पैमाने पर इसकी खरीदी कर रही हैं। सैनिटाइजर के लिए जरूरी हर्बल अल्कोहल महुआ से हासिल किया जा रहा है। यही वजह है कि पिछले साल 4300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिकने वाले महुआ का भाव 900 रुपये से बढ़कर 5200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
शराब निर्माण के उपयोग में आने वाली कई अन्य सामग्रियों की कीमतों में कोई खास फर्क नहीं आया है। सिर्फ महुआ का भाव ही लगातार बढ़ रहा है। इसकी मुख्य वजह सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली कंपनियों द्वारा महुआ खरीदी है। मुंबई की सैनिटाइजर कंपनियों में महुआ की मांग सबसे ज्यादा है।
केमिकल अल्कोहल से है सस्ता
महुआ से बनने वाला अल्कोहल सैनिटाइजर निर्माण में उपयोगी केमिकल अल्कोहल से सस्ता है तथा हर्बल होने के कारण चमड़ी को तुलनात्मक रूप से नुकसान भी नहीं पहुंचाता। यही वजह है कि आइसोप्रोपाइल अल्कोहल व एथाइल अल्कोहल की तुलना में महुआ की खरीदी को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे बनने वाला अल्कोहल नैसर्गिक है। सैनिटाइजर उत्पादन करने वाली कंपनियां छत्तीसगढ़ से महुआ की खरीदी की मात्रा बढ़ा रही हैं। प्रदेश में स्टॉकिस्टों के पास चार से छह लाख टन का स्टॉक है।
छत्तीसगढ़ में महुआ के स्टॉकिस्ट सुभाष कुमार ने बताया कि महुआ से सैनिटाइजर बनाया जा रहा है। मुंबई व अन्य प्रदेशों की सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियां महुआ खरीदने के लिए लगातार संपर्क में है। मांग बढ़ने से कीमतों मे भी वृद्धि हुई है।