कमल नाथ के ओएसडी रहे कक्कड़ के बेटे की कंपनी का 938 करोड़ की ठेका प्रक्रिया रद
मई 2020 में हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर ने अब इस ठेके को निरस्त कर दिया है।
भोपाल, जेएनएन। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (OSD) रहे प्रवीण कक्कड़ के बेटे सलिल कक्कड़ की कंपनी से 938 करोड़ रपये की ठेका प्रक्रिया को रद कर दी गई है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 938 करोड़ रुपये के नए ठेके की प्रक्रिया 2019 में शुरू की थी, लेकिन मामला अदालत में उलझ गया। मई 2020 में हाई कोर्ट द्वारा याचिका खारिज करने के बाद मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, इंदौर ने अब इस ठेके को निरस्त कर दिया है।
गौरतलब है कि कांग्रेस से ज्यादा भाजपा सरकार कक्कड़ के बेटे की कंपनी पर मेहरबान रही है। भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही कक्कड़ की कंपनी को चार साल पहले भी बिजली कंपनियों में मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए लिए ठेका दिया गया था, यह कंपनी अभी भी काम कर रही है।
पूर्व मंत्री ने की थी शिवराज से शिकायत
पूर्व मंत्री विजय शाह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखित शिकायत कर आरोप लगाया था कि 938 करोड़ रुपये के इस ठेके में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ के बेटे सलिल और उसके पार्टनर की कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए 70 नियम और शर्ते बदली गई हैं।
इस मामले में सलिल कक्कड़ से बात करने की कई बार कोशिश की, लेकिन उन्होंने मोबाइल फोन नहीं उठाया। प्रक्रिया में ही था ठेका मप्र सरकार की तीनों बिजली कंपनियों में लगभग 30 हजार कर्मचारी ठेके पर उपलब्ध कराने के लिए 2019 में निविदाएं (टेंडर) निकाली गई थीं, लेकिन उच्च न्यायालय के इंदौर बैंच में एक कंपनी ने इसके खिलाफ याचिका लगा दी, जिसके चलते अदालत ने सारी प्रक्रिया रोक रखी थी। इस बीच अदालत ने याचिका खारिज की तो प्रक्रिया आगे बढ़ी।
सलिल कक्कड़ की कंपनी 'थर्ड आई सिक्युरिटी सर्विसेस' और सजन पनिकर की 'बालाजी सिक्युरिटी' की वित्तीय निविदा सफल पाई गई थीं, पर किसी भी कंपनी की अब तक निविदा स्वीकार कर कार्य आदेश जारी नहीं किया गया था। शाह ने शिकायत की तो फिलहाल सिर्फ इंदौर की बिजली कंपनी ने ठेका प्रक्रिया रद करने का आदेश निकाला है।
कोरोना की गाइडलाइन न होने के कारण रद की प्रक्रिया
नरवाल मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितण कंपनी के प्रबंध संचालक विकास नरवाल ने दैनिक जागरण के सहयोगी प्रकाशन 'नईदुनिया' से चर्चा में कहा कि मानव संसाधन मुहैया कराने की एक निविदा प्रक्रिया चल रही थी पर उसकी शर्तो में कोरोना गाइडलाइन शामिल नहीं थी। मास्क लगाने और शारीरिक दूरी की अनिवार्यता की निविदा में शर्त नहीं थी।
चूंकि अब कोरोना संकट में इसका पालन जरूरी है, इसलिए समूची प्रक्रिया को ही निरस्त कर दिया गया है। अदालत में भी तीन-चार मामले अभी चल रहे हैं। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कंपनी किसकी है, यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन पुराने टेंडर में ये कंपनियां (सलिल कक्कड़ की थर्ड आई सिक्युरिटी सर्विसेस और सजन पनिकर की बालाजी सिक्युरिटी) काम कर रही हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने बताया कि हमारे कार्यकाल में जो नियम-शर्ते तय की गई थीं, उन्हें हाई कोर्ट ने भी सही माना। तभी कंपनी की याचिका खारिज की गई थी। निविदा में तो हरियाणा की औरायन जैसी कई और बड़ी कंपनी भी शामिल हुई थीं। जिस कंपनी को भाजपा सरकार ने चार साल पहले योग्य पाया था। वही कंपनी इस बार भी सारी शर्तो को पूरा कर रही थी। जिस कंपनी को उपकृत किए जाने का आरोप भाजपा लगा रही है, वह तो शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल से ही काम कर रही है। शिवराज सरकार सिर्फ कांग्रेस को बदनाम करना चाह रही है।