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भारत के प्रति नहीं बदला रूस का रवैया, तकनीक से लेकर जियोपोलिटिक्स में कर रहा मदद

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाले हैं। नवंबर 2019 में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच यह पहली आमने-सामने की बैठक होगी।

By Manish PandeyEdited By: Published: Mon, 06 Dec 2021 08:22 AM (IST)Updated: Mon, 06 Dec 2021 08:22 AM (IST)
भारत के प्रति नहीं बदला रूस का रवैया, तकनीक से लेकर जियोपोलिटिक्स में कर रहा मदद
दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार , ऊर्जा और तकनीक में सहयोग पर समझौता

नई दिल्ली, एएनआइ। इस बात पर जोर देते हुए कि पश्चिमी महाशक्ति के विपरीत रूस ने भारत के प्रति अपना दृष्टिकोण नहीं बदला है, पूर्व राजनयिक मुकुल सनवाल ने कहा है कि मास्को नई दिल्ली को टेक्नोलजी के हस्तांतरण से लेकर जियोपोलिटिक्स में सहायता करने में मदद कर रहा है। देश हमेशा अपने दक्षिण एशियाई सहयोगी के लिए खड़ा रहा है। रविवार को यहां एएनआइ से बात करते हुए सनवाल ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को अपनी बैठक के दौरान जियोपोलिटिक्स पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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यह रेखांकित करते हुए कि रूस अफगानिस्तान में और चीन-भारत के बीच एक सेतु के रूप में जबरदस्त मदद कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मास्को ने हमें नई टेक्नोलाजी दी है, जिसमें एक सोवियत परमाणु पनडुब्बी शामिल है। जबकि कोई अन्य शक्ति उस तकनीक को साझा करने या हमें उस तरह का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है।

पूर्व राजनयिक ने कहा कि हमारे पास बड़ी संख्या में परमाणु रिएक्टर हैं, हम भविष्य में परमाणु ऊर्जा पर अधिक निर्भर होने जा रहे हैं। रक्षा, मिसाइल, राकेट तकनीक में रूसियों ने हमारे साथ बहुत कुछ साझा किया है। वे तकनीक साझा करने के लिए तैयार हैं और मुझे लगता है कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि पश्चिम ऐसा करने को तैयार नहीं है।

मुकुल सनवाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि न केवल ड्रिलिंग तकनीक और तेल क्षेत्रों को साझा करने के मामले में बल्कि आर्कटिक में बढ़ती टोक्नोलाजी के मामले में भी भारत की रूस के साथ बहुत मजबूत ऊर्जा साझेदारी है। मेरा मानना ​​है कि जियोपोलिटिक्स महत्व के अलावा जो प्रमुख क्षेत्र इससे उभरेंगे, वे ऊर्जा के लिए अधिक परमाणु रिएक्टर होने की संभावना है। हमने अभी कहा है कि हमारा जीरो-कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य है।

बता दें कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर भारत दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरान भारत-रूस के बीच 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन होने वाला है। इस दौरान दोनों देशों के बीच रक्षा, व्यापार और निवेश, ऊर्जा और तकनीक के अहम क्षेत्रों में सहयोग मजबूत करने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।


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