Move to Jagran APP

कोविड-19 के लिए बनाया गया रूस का स्‍पुतनिक-5 टीका है एडिनोवायरस वेक्टर आधारित

कोरोना वायरस से बचाव के लिए दुनिया के कई देश टीका विकसित करने में जुटे हैं लेकिन रूस ने इसका निर्माण भी शुरू कर दिया है जो इस वैश्विक महामारी पर विजय हासिल करने में एक नया मोड़ साबित हो सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 03:32 PM (IST)
कोविड-19 के लिए बनाया गया रूस का स्‍पुतनिक-5 टीका है एडिनोवायरस वेक्टर आधारित
रूसी टीका स्पुतनिक पांच एक एडिनोवायरस वेक्टर आधारित टीका है

डॉ. आमिर उल्लाह खान। वर्ष 2012 में सउदी अरब में श्वसन संबंधी एक नया वायरस उभरकर आया था, जिसमें संक्रमण के कारण प्रत्येक तीसरे मरीज की मृत्यु हो रही थी। श्वसन संबंधी इस वायरल बीमारी के लिए चिकित्सकीय तस्वीर विशिष्ट थी। पहले लक्षण थे बुखार, खांसी, सांस फूलना, जो बीमारी के बढ़ने पर गंभीर वायरल निमोनिया में बदल जाता, जिससे अंतत: मरीज की मृत्यु हो जाती थी।

loksabha election banner

इस वायरस के दुष्प्रभाव के बाद यह एमईआरएस यानी मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कहा जाने लगा और जल्द ही यह संपूर्ण मध्य पूर्व क्षेत्र, यूरोप और एशिया-प्रशांत में अमेरिका सहित 27 देशों में फैल गया। इसके विपरीत, कोविड-19 उसी कोरोना वायरस परिवार का एक नया वायरस है, लेकिन सभी मामलों में एमईआरएस जैसा जानलेवा नहीं है, परंतु उससे कहीं ज्यादा संक्रामक है।

दिसंबर 2019 में चीन के वुहान प्रांत से जिस वायरस संक्रमण की शुरुआत हुई, उससे अब तक चार करोड़ से अधिक संक्रमण के मामले सामने आए हैं और करीब 12 लाख लोगों की मौत होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। इस बीमारी के फैलाव को रोका नहीं जा सका है, जिसके लक्षण एमईआरएस की तरह ही हैं। हालांकि एमईआरएस से निपटने के लिए उठाए गए कदम कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।

रूसी टीका से जुड़ी संभावनाएं : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीका विकसित करने में रूस ने जो भूमिका निभाई है, उसके बारे में संपूर्ण रूप से चर्चा नहीं की गई है। ऐसा लगता है कि इस देश ने इस संदर्भ में उल्लेखनीय प्रगति की है। हालांकि विकसित किए गए टीके को जल्दबाजी में पंजीकृत करने के लिए रूस की आलोचना भी की जा रही है, लेकिन इसके एडिनोवायरस वेक्टर आधारित प्लेटफॉर्म का पिछले कुछ दशकों में दुनियाभर में हजारों लोगों पर परीक्षण किया गया है।

कोविड का टीका उल्लेखनीय रूप से एमईआरएस टीके की तरह होने का अनुमान लगाया जा रहा है जो रूस में मौजूदा महामारी से पहले परीक्षण के बाद तैयार था। इसके विपरीत, अन्य जगहों पर विकसित किए गए टीके, जो चिंपांजी एडिनोवायरस को एक प्लेटफॉर्म की तरह उपयोग करते हैं, डीएनए और आरएनए आधारित हैं और अपेक्षाकृत मानकों के अनुरूप इनका परीक्षण नहीं किया गया है। लिहाजा अभी इनके अधिक क्लिनिकल परीक्षणों की आवश्यकता होगी।

आज अमेरिका, इंग्लैंड, चीन और रूस समेत दुनिया के अग्रणी देश इस प्रकार का टीका तैयार करने के लिए प्रयासरत हैं। मुख्य प्रकार के टीके, जिसे विकसित करने की कोशिशें की जा रही हैं, उनमें शामिल है वेक्टर, इनेक्टिवेटेड, डीएनए। एक नया टीका विकसित करने के लिए आमतौर पर कम से कम डेढ़ से दो साल का समय लगता है, क्योंकि इसमें व्यापक पैमाने पर हजारों लोगों पर चिकित्सकीय परीक्षण संचालित किए जाने की आवश्यकता होती है। चूंकि इस बार महामारी से हुई तबाही को देखते हुए शीघ्र प्रतिक्रिया की जरूरत है, इसलिए कुछ जल्दबाजी की गई है।

रूसी टीका स्पुतनिक पांच एक एडिनोवायरस वेक्टर आधारित टीका है और फिलहाल इसे सुरक्षित माना जा रहा है। इसे तैयार करना भी सरल होता है। इस महामारी की शुरुआत के बाद, नए कोरोना वायरस के आनुवंशिक सामग्री के अंश को निकाला गया, जो स्पाइक एस प्रोटीन की संरचना के बारे में जानकारी कोड करता है और मुख्य वायरस का निर्माण करता है। इस सामग्री को कोविड टीका तैयार करने हेतु मानव कोशिका में भेजने के लिए एक परिचित एडिनोवायरस वेक्टर में डाला गया। वेक्टर्स वे वायरस होते हैं, जिसमें उस जीन को हटा दिया जाता है जो प्रतिकृतियां तैयार करने के लिए जिम्मेदार होते हैं और इससे संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता।

वैज्ञानिक अलग वायरस से, जिसके खिलाफ वैक्सीन तैयार किया जाना है, आनुवंशिक सामग्री को एक मानवीय कोशिका में भेजने के लिए वेक्टर्स का इस्तेमाल करते हैं। दुनियाभर से 20,000 से ज्यादा लोगों ने एडिनोवायरस वेक्टर्स के इस्तेमाल से बनी दवाओं के क्लिनिकल परीक्षणों में हिस्सा लिया है। आज कई देश एडिनोवायरस पर आधारित उनके अपने टीके विकसित कर रहे हैं, लेकिन रूसी टीके और अन्य टीकों के बीच एक मूलभूत अंतर इसका टू-शॉट मॉडल है, जो इसे अधिक प्रभावी बनाता है।

प्रसिद्ध पत्रिका द लांसेट ने इस टीके के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षणों के परिणामों को प्रकाशित करते हुए इसकी सुरक्षा और प्रभाव की चर्चा की है। इस वैक्सीन के क्लिनिकल परीक्षणों ने सकारात्मक नतीजे प्रदर्शित किए हैं, जिसमें स्वयंसेवकों में लगभग सौ प्रतिशत एक मजबूत प्रतिरोधक क्षमता प्रतिक्रिया विकसित हुई है और किसी प्रकार के दुष्परिणाम की जानकारी अब तक दर्ज नहीं की गई है। करीब 21 दिनों के भीतर स्वयंसेवकों में मजबूत इम्युनिटी रिस्पांस विकसित हुआ है और दूसरे शॉट के बाद शरीर द्वारा निíमत होने वाली एंटीबॉडीज की संख्या दोगुनी हुई जिससे लंबी अवधि के लिए इम्युनिटी मिल पाती है।

पहले नतीजे प्रोत्साहित करने वाले नजर आते हैं, पर मेडिकल समुदाय इन नतीजों में अभी और सुधार की उम्मीद कर रहा है। अब इस पर अंतिम चरण के व्यापक स्तर पर क्लिनिकल परीक्षण किए जा रहे हैं, जिसमें दुनियाभर से 40,000 लोगों को शामिल किया गया है। इससे दुनिया को यह बेहतर तरीके से समझ आ सकेगा कि रूसी टीका कितना प्रभावी है और क्या इसमें महामारी के खिलाफ वैश्विक युद्ध में प्रमुख अस्त्र बनने की संभावना है या नहीं।

(अर्थशास्त्री व पूर्व सलाहकार, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.