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भारत के साथ दोस्ती की नई गाथा लिखेंगे रूसी राष्ट्रपति, 10 अहम समझौतों पर होगा करार, अमेरिका-चीन की पैनी नजर

पुतिन की भारत यात्रा तो सिर्फ कुछ घंटों के लिए ही होगी लेकिन यह भारत व रूस के द्विपक्षीय रिश्तों को काफी प्रगाढ़ कर जाएगी। पुतिन और मोदी के बीच कुछ देर अकेले में भी बातचीत होगी और इन दोनों की अगुवाई में भारत-रूस 21वां वार्षिक शिखर सम्मेलन भी होगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 08:22 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 05:20 AM (IST)
भारत के साथ दोस्ती की नई गाथा लिखेंगे रूसी राष्ट्रपति, 10 अहम समझौतों पर होगा करार, अमेरिका-चीन की पैनी नजर
भारत के साथ दोस्ती की नई गाथा लिखेंगे रूसी राष्ट्रपति, 10 महत्वपूर्ण समझौतों पर होगा करार ।

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा तो सिर्फ कुछ घंटों के लिए ही होगी लेकिन यह भारत व रूस के द्विपक्षीय रिश्तों को काफी प्रगाढ़ कर जाएगी। पुतिन और पीएम नरेन्द्र मोदी के बीच कुछ देर अकेले में भी बातचीत होगी और इन दोनों की अगुवाई में भारत-रूस 21वां वार्षिक शिखर सम्मेलन भी होगा। सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, तकनीक, अंतरिक्ष, कारोबार जैसे पांच अहम क्षेत्रों में 10 महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। दोनों तरफ के अधिकारियों का कहना है कि ये समझौते बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक हालात में भारत व रूस के बीच आपसी सहयोग को व्यापक विस्तार देने वाले साबित होंगे।

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घरेलू संकट की वजह से कुछ घंटे भारत में गुजारने का फैसला

सूत्रों के मुताबिक कोरोना और यूक्रेन संकट की गंभीर स्थिति के बावजूद पुतिन ने नई दिल्ली आने का फैसला कर साफ संकेत दिया है कि भारत के साथ रूस की पुरानी दोस्ती आगे भी प्रासंगिक बनी रहेगी। संभवत: घरेलू संकट की वजह से ही पुतिन ने सिर्फ कुछ घंटे भारत में गुजारने का फैसला किया है, लेकिन उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगू एक दिन पहले भारत पहुंचेंगे। सोमवार की सुबह शोइगू और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सैन्य तकनीक सहयोग की बैठक होगी। इसी दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के विदेश मंत्री लावरोव कूटनीतिक व भू-राजनीतिक हालात पर अलग चर्चा करेंगे।

दोनों देशों की पहली टू प्लस टू वार्ता होगी

इन बैठकों के बाद दोनों देशों की पहली टू प्लस टू वार्ता होगी जिसमें दोनों रक्षा मंत्री व दोनों विदेश मंत्री अध्यक्षता करेंगे। रिश्तों में नरमी के कयासों को खत्म करेगी यात्रा पुतिन की यह यात्रा भारत व रूस के पारंपरिक रिश्तों में ढलान आने के कयासों को भी खत्म करने वाली साबित होगी। पुतिन की तरफ से दिसंबर 2019 की प्रस्तावित यात्रा को टालना, लावरोव का बतौर रूस के विदेश मंत्री पहली बार पाकिस्तान जाना, अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चीन को मदद, अमेरिका से भारत की बढ़ती नजदीकियां, क्वाड की स्थापना आदि के चलते कई विशेषज्ञों ने यह लिखना शुरू कर दिया है कि भारत व रूस के बीच रिश्तों में अब पुरानी गर्माहट नहीं रहेगी। दोनों देशों के अधिकारी द्विपक्षीय समझौतों के प्रारूप को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इसको लेकर दोनों देशों के बीच विभिन्न तरह की 15 कार्यसमितियां काम कर रही हैं।

ऊर्जा क्षेत्र पर होगी अहम चर्चा

ऊर्जा क्षेत्र पर होगी अहम चर्चा सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी की सितंबर 2019 में रूस के सुदूर पूर्व हिस्से की यात्रा करने के बाद दोनों देशों में ऊर्जा क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। सोमवार को ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित करने को लेकर अहम चर्चा भी होगी और समझौते भी होंगे। कारोबार और कनेक्टिविटी को लेकर भी दोनों तरफ से कुछ घोषणा होने की उम्मीद है। खास तौर पर सुदूर पूर्व रूस के व्लादिस्तोक बंदरगाह को चेन्नई बंदरगाह से जोड़ने की योजना को लेकर। अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग प्रगाढ़ करने के लिए एक अलग मसौदे पर बात हो रही है। इस क्षेत्र में रूस भारत का पुराना साझीदार है। वर्ष 2023 में भारत के गगनयान योजना के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को रूस में ही ट्रेनिंग दी जा रही है।

पुतिन के दौरे पर अमेरिका समेत पड़ोसियों की भी नजर

पुतिन के दौरे पर अमेरिका समेत पड़ोसियों की भी नजर पुतिन के दौरे और इस दौरान होने वाले रक्षा समझौतों पर पड़ोसी देशों चीन व पाकिस्तान के साथ ही अमेरिका की भी नजर होगी। अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज कर भारत ने रूस से एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की पहली खेप हासिल कर ली है। दूसरी खेप अगले कुछ हफ्तों में आने की उम्मीद है जबकि इस सिस्टम की और खरीद करने की संभावना को लेकर भी दोनों देशों के बीच वार्ता जारी है। अमेरिका ने रूस से तकनीकी व हथियारों की खरीद करने वाले राष्ट्रों पर प्रतिबंध लगाने का कानून बना रखा है। इस बारे में विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत की रक्षा खरीद नीति किसी दूसरे देश से प्रभावित नहीं होती है।


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