तमिलनाडु हिंसाः राहुल के बयान पर आरएसस का पलटवार; समाज को बांटना चाहती है कांग्रेस
राहुल गांधी के तमिलनाडु हिंसा पर दिए बयान पर संघ ने पलटवार किया है। संघ का आरोप है कि कांग्रेस खोई राजनैतिक जमीन पाने के लिए समाज को बांटना चाह रही है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर तमिलनाडु़ हिंसा पर दिये बयान को लेकर पटलवार किया है। संघ के संयुक्त सचिव मनमोहन वैद्य ने कहा कि कांग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी समाज के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि जनता का खोया समर्थन वापस पा सकें। उन्होंने कहा कि विभाजनकारी राजनीतिक करने वालों को अब देश ने नकारना शुरू कर दिया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देशहित के लिए जाति, क्षेत्र और धार्मिक पहचान से ऊपर उठकर भारत के लोगों को एकजुट करने के लिए अथक रूप से काम कर रहा है।
उन्होंने राहुल पर हमला बोलते हुए कहा कि निराशा में कांग्रेस पार्टी और उसके अध्यक्ष राहुल गांधी अपने खोए समर्थन को वापस पाने के लिए समाज में को और अधिक विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में हुए हिंसक प्रदर्शनों को लेकर ट्वीट किया था। राहुल ने कहा कि आरएसएस की विचारधारा न मानने की वजह से तमिल मारे जा रहे हैं। उन्होंने यह संदेश तामिल में लिखा। राहुल के इस बयान पर भाजपा ने भी पलटवार किया। भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा है कि राहुल का बयान हास्यास्पद है। राज्य के मामलों में केंद्र सरकार का दखल उतना नहीं होता।
मुख्यमंत्री और डीजीपी के इस्तीफे की मांग
उधर, द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने तूतिकोरिन मामले में सीएम के पलानीस्वामी व डीजीपी टीके राजेंद्रन का इस्तीफा मांगा है। घटना के मद्देनजर उन्होंने कर्नाटक की नई सरकार के शपथग्रहण कार्यक्रम में भी नहीं जाने का फैसला लिया। स्टालिन का कहना था कि यह बेहद दुखद है कि सीएम व उनकी कैबिनेट के किसी मंत्री ने घटना का दौरा नहीं किया। स्टालिन ने पीडि़त परिवारों के साथ मुलाकात कर उनका दुख भी साझा किया।
रजनीकांत और कमल हासन ने की निंदा
फिल्म अभिनेता रजनीकांत ने भी घटना की कड़े शब्दों में निंदा की है। एमएनएम के संस्थापक व अभिनेता कमल हासन ने कहा कि किसने गोली चलाने का आदेश दिया था। उनका कहना था कि केवल वह नहीं बल्कि पीडि़त परिवार भी यह मांग कर रहे हैं। मुआवजा देने भर से यह पीडि़तों को न्याय नहीं मिलने वाला। इसके अलावा माकपा और भाकपा ने भी घटना की निंदा की है। आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने भी कहा है कि वेदांता का विरोध कर रहे लोगों की आवाज को क्रूर तरीके से दबा दिया गया। संगठन का कहना है कि ईज ऑफ डूईंग बिजनेस के लिए पुलिस ने यह कदम उठाया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी निंदा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट ने कहा कि लोगों के हितों के लिए कंपनी से ऊपर होकर राज्य सरकार को देखना था। जिस प्लांट को महाराष्ट्र, गुजरात व गोआ सरकार ने लगाने से मना कर दिया था, उसे तमिलनाडु ने लगाया। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी कुछ इसी तरह की तल्ख प्रतिक्रिया जताई है।