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बीजेपी के 'मिशन-2014' के लिए जुटा संघ परिवार

पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा की दुर्दशा के लिए संघ स्वयंसेवकों की उदासीनता को जिम्मेदार मानते हुए अब संघ परिवार नए सिरे से भाजपा-संघ के बीच रिश्तों में गरमाहट लाने में जुट गया है। सिर्फ भाजपा ही नहीं पूरे संघ परिवार को अब एक सुर में बोलने की ताकीद भी की गई।

By Edited By: Published: Fri, 02 Aug 2013 01:10 AM (IST)Updated: Fri, 02 Aug 2013 08:03 AM (IST)
बीजेपी के 'मिशन-2014' के लिए जुटा संघ परिवार

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा की दुर्दशा के लिए संघ स्वयंसेवकों की उदासीनता को जिम्मेदार मानते हुए अब संघ परिवार नए सिरे से भाजपा-संघ के बीच रिश्तों में गरमाहट लाने में जुट गया है। सिर्फ भाजपा ही नहीं पूरे संघ परिवार को अब एक सुर में बोलने की ताकीद भी की गई। नरेंद्र मोदी को चेहरे और स्पष्ट मुद्दों के साथ पूरा संघ परिवार मिशन-2014 के लिए जुटेगा। साथ ही आम चुनावों से पहले कांग्रेस की तरफ से लगातार सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिशों पर भी संघ-भाजपा की पैनी निगाहें हैं। संघ-भाजपा समन्वय समिति ने राज्यवार चुनावी विश्लेषण कर आम चुनावों की तैयारियों को आगे बढ़ाया।

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भाजपा की ओर से पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह, नरेंद्र मोदी, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, रामलाल तो संघ की ओर से नंबर दो भैयाजी जोशी के अलावा सुरेश सोनी, दत्तात्रय होसबोले, कृष्ण गोपाल प्रमुख रूप से मौजूद थे। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी दिल्ली से बाहर होने की वजह से बैठक में नहीं थे। बैठक में खासतौैर से उन राज्यों पर चर्चा हुई, जहां भाजपा की चुनावी संभावनायें ज्यादा हैं।

संघ-भाजपा दोनों ने ही राज्यों के बारे में अपने-अपने अनुभव साझा किए और उसके अनुरूप आगे रणनीति बनाने पर विचार-विमर्श किया। तय हुआ कि संघ-भाजपा के बीच स्थानीय स्तर पर बन गई दूरी को पाटा जाए और सबसे छोटी इकाई में भी कार्यकर्ता एकजुट होकर मिशन-2014 में जुटें। इस दौरान तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पर लंबा विमर्श हुआ है। कुछ लोगों का कहना था कि पूरी तरह तेलंगाना पर फोकस करेंगे तो अन्य हिस्सों में पीछे चले जाएंगे। बंग्लादेश के साथ जमीन हस्तांतरण के मुद्दे पर संघ सहमत नहीं है। उनका मानना है कि जहां यह देश के लिए घातक होगा वहीं उत्तारपूर्व की जनता भी इसे नहीं चाहती है। लिहाजा वक्त आने पर इसका विरोध होना चाहिए।

राम मंदिर मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद की सक्रियता पर भी चर्चा हुई। तय हुआ कि भाजपा मंदिर से पीछे न हटे, लेकिन मुख्य एजेंडा सुशासन ही होगा। विहिप को भी समझाया जाएगा कि वह हालात ऐसे न ला दे कि भाजपा का मुख्य एजेंडा पीछे चला जाए। मुख्य बात थी कि मिशन-2014 के लिए कमर कस चुके संघ परिवार ने सबको दो टूक संदेश दिया है कि हर स्तर पर एक ही सुर में सब बोलें।

चुनाव में पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए नरेंद्र मोदी के नाम पर सहमति पहले ही लग चुकी है। चेहरे और मुद्दों पर अब यह स्पष्ट कर दिया कि अलग अलग स्वर में बोलना न तो भाजपा में स्वीकार्य होगा और न ही संघ के लिए। एक पखवाड़े पहले अमरावती में संघ ने भी अगले साल भर का कार्यक्रम तय कर लिया है। गुरुवार को दोनो ने साथ बैठकर यह तय कर लिया कि इस बार हर स्तर पर तालमेल दिखनी चाहिए। संघ ने भरोसा दिया कि स्वयं सेवक आधार तैयार करेंगे और भाजपा चुनावी मुद्दों के साथ समाज के हर वर्ग को जोड़ेंगे।

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