सड़क सुरक्षा सम्मेलन: दिल्ली में न्यू एमवी एक्ट लागू न होने से घटे चालान, पर कोर्ट पर बढ़ा दबाव
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं देश को बहुत महंगी पड़ रही हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा पर कितने भी नियम-कानून बना दिए जाएं, जब तक इनके कार्यान्वयन को लेकर देश में राजनीतिक सहमति नहीं बनती तब तक सड़क दुर्घटनाओं और मौतों में कमी होने वाली नहीं है। फिक्की द्वारा आयोजित सड़क सुरक्षा सम्मेलन में वक्ताओं की यही राय थी। सम्मेलन में ज्यादातर वक्ताओं ने संशोधित मोटर एक्ट के बढ़े प्रावधानों को उचित ठहराया और इन्हें लागू करने में आनाकानी करने वाली राज्य सरकारों की आलोचना की।
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं देश को बहुत महंगी पड़ रही हैं। लिहाजा हमें नियमों के अनुपालन के साथ अपने रवैये में बदलाव लाना होगा। सड़क सुरक्षा की आदत बचपन से ही डाले जाने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि दो जंबो जेट के टकराने से उतने लोग नहीं मरते जितने एक दिन में सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। इसके बावजूद जेट टकराने पर ज्यादा शोर मचता है।
वास्तविक यातायात सुधारने का सुझाव
परिचर्चा के दौरान वक्ताओं ने संशोधित मोटर एक्ट, 2019 की खूबियों और खामियों का जिक्र किया। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ कमल सोई ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्णयों को राज्य सरकारें पलीता लगा रही हैं। मसलन, केंद्र ने बिना हेलमेट दुपहिया चलाने वालों पर जुर्माना बढ़ा दिया। परंतु गुजरात सरकार हेलमेट को शहरों के लिए गैरजरूरी बता रही है। कई राज्यों ने एक्ट लागू करने की अधिसूचनाएं जारी नहीं की हैं। वाहनों में वेहिकल ट्रैकिंग डिवाइस व पैनिक बटन लगाने का निर्णय कई वर्ष पहले हुआ था। परंतु आज तक लागू नहीं हुआ है। उन्होंने ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताते हुए इसे विदेशों की तरह वास्तविक यातायात स्थितियों में किए जाने का सुझाव दिया।
एक्ट के डर से सड़क दुर्घटनाओं में आई कमी
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (यातायात) ताज हसन का कहना था कि दिल्ली सरकार के अधिसूचना जारी न करने से हमें कंपाउंडिंग अपराधों में भी चालान कोर्ट भेजने पड़ रहे हैं जिससे कोर्ट का काम भी बढ़ गया है। पहले हम 20 हजार चालान करते थे, जिनमें केवल 1200 कोर्ट जाते थे। अब केवल 5000 चालान हो रहे हैं और सब कोर्ट जा रहे हैं। एक्ट की धारा 136ए में कैमरों के जरिए इलेक्ट्रानिक मानीटरिंग का प्रावधान है। इसके लिए हमने 22 जंक्शन पर रेड लाइट वायोलेशन और 100 जगहों पर ओवरस्पीडिंग कैमरे लगा रखे हैं। परंतु नोटीफाइ न होने से इनका कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है। इसके बावजूद एक्ट के डर से सड़क दुर्घटनाओं में कमी आई है। एक्ट लागू होने के बाद से अब तक पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 105 हादसे कम हुए हैं।
सड़क सुरक्षा का तंत्र को होना चाहिए मजबूत
सड़क सुरक्षा पर काम करने वाली रजनी गांधी ने कांफ्रेंस में मौजूद लोगों से पूछा कि कितने लोग संशोधित मोटर एक्ट को सही मानते हैं तो एक महिला को छोड़ सभी ने हाथ उठा दिए। महिला का कहना था कि सरकार को पहले सड़क सुरक्षा का अपना तंत्र मजबूत करना चाहिए तब जुर्माने बढ़ाने चाहिए। जब सड़कें टूटी हैं, रेड लाइटें काम नहीं करतीं, रोड साइन दोषपूर्ण हैं तो कैसे केवल चालकों को दोषी ठहराया जा सकता है। कार्यक्रम में सड़क सुरक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को पुरस्कार बांटे गए।