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कोरोना महामारी: संकट के बीच अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने की कवायद

कोरोना महामारी ने अर्थव्‍यवस्‍था को जबरदस्‍त झटका दिया है। लेकिन अब इसके पटरी पर लाने की कवायद भी शुरू हो गई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 07 Jun 2020 08:15 AM (IST)Updated: Sun, 07 Jun 2020 08:15 AM (IST)
कोरोना महामारी: संकट के बीच अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने की कवायद
कोरोना महामारी: संकट के बीच अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने की कवायद

नई दिल्‍ली (जेएनएन)। कमाई की कड़ियां अर्थव्यवस्था की लड़ियां बनती है। असंख्य कमाई की लड़ियों से बुने जाल वाली अर्थव्यवस्था इतनी मजबूत होती है कि वह राष्ट्र और राष्ट्रवासियों के बहुमुखी कल्याण को सुनिश्चित कर सके। उद्योग और कारोबार चलते हैं तो लोगों को वेतन मिलता है। उस वेतन से वह कुछ बुरे दौर के लिए बचत में रखता है। शेष दैनिक जीवन के लिए जरूरी चीजों में खर्च करता है। उसके द्वारा खर्च किए जाने वाली रकम से अन्य क्षेत्र की कमाई होती है। कुछ पैसा वह अपने किसान पिता के पास भेजता है जिससे उन्नत किस्म के बीज, खाद और तकनीकी की मदद से बंपर पैदावार करके वे देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

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इस क्रम में भी उनकी आय सृजित होती है। कमाई और खर्च के इसी अंतर्संबंधों के बुने जाल से अर्थव्यवस्था विकास करती है और लोगों का धीरे-धीरे ही सही, स्थायी कल्याण सुनिश्चित होता है। कोरोना वायरस ने कमाई की इन कड़ियों को कुतर दिया है। अर्थव्यवस्था में कमाई का जाल कट गया है। बढ़ते संक्रमण के बीच लॉकडाउन खोलने के चलते जनजीवन पटरी पर आता दिख रहा है, लेकिन कमाई की कड़ियों को जोड़ने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। कामकाज के तौरतरीके बदल चुके हैं। उद्योग अपनी पूरी क्षमता के साथ उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। तमाम क्षेत्रों में मांग ठप हो गई है तो कृषि और इससे जुड़े कई क्षेत्रों में आपूर्ति पुराने स्तर की बनी हुई है, लेकिन दैनिक उपभोग वाली उन चीजों की मांग कम होने के कारण उत्पादकों को वाजिब कीमत नहीं मिल पा रहा है।

समय चक्र परिवर्तनशील है। हर बुरे दौर के बाद अच्छे दौर का आना तय होता है। मई महीने में ट्रैक्टर की बिक्री अनुमान से बेहतर रही है। उर्वरकों की खरीद जैसे तमाम संकेतकों के आधार पर विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि अर्थव्यवस्था की रिकवरी का माध्यम कृषि क्षेत्र ही बनेगा क्योंकि जिन कुछ क्षेत्रों पर कोरोना का सबसे कम प्रतिकूल असर पड़ा है, उनमें कृषि भी शामिल है। अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए, कमाई की कड़ियों को फिर से जोड़ने और कोरोना से न्यूनतम प्रभावित क्षेत्रों का पूरी क्षमता से उत्पादन लेने के साथ अन्य प्रभावित क्षेत्रों में कामकाज सुचारू करने की बड़ी चुनौती है। तमाम क्षेत्रों में देश के आत्मनिर्भर बनने की घड़ी आन पड़ी है। ऐसे में कमाई की इन कड़ियों को मजबूत बनाकर देश, समाज और निजी स्तर पर बेहतरी की बहाली की संभावनाओं की पड़ताल एक बड़ा मुद्दा है।

1 टिकाऊ बुनियादी ढ़ांचे में निवेश

आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और रोजगार सृजन करने का यह सबसे प्रभावी तरीका है। सवाल यह है कि यह बुनियादी ढ़ांचा किस प्रकार का होना चाहिए। अध्ययन बताते हैं कि 2008-09 के वित्तीय संकट के दौरान दक्षिण कोरिया ने अपनी वित्तीय मदद का 70 फीसद सिर्फ ग्रीन उपायों में लगाया तभी उस देश ने ओईसीडी देशों में सबसे पहले इस संकट से निजात पा ली। भारत को भी इस समय नवीकृत ऊर्जा पर फोकस करना चाहिए। सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ करके भीड़भाड़ और वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं में निवेश से मांग-आपूर्ति की कड़ी को सुनिश्चित किया जा सकता है।

2 सर्वाधिक असुरक्षित पर ध्यान

देश की 90 फीसद श्रमशक्ति असंगठित क्षेत्र में है। इन्हें वित्तीय मदद और इंश्योरेंस व पेंशन जैसे सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने की जरूरत होगी। कुछ शर्तों के साथ यूनिवर्सल बेसिक स्कीम लाई जा सकती है। स्वच्छ पेयजल, स्वच्छ हवा और प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराकर न सिर्फ इनकी जीवन प्रत्याशा में सुधार कर सकते हैं बल्कि महामारी से उपजी आर्थिक व स्वास्थ्य चुनौतियों के प्रति भी सक्षम बना सकते हैं।

3 रिकवरी की प्रभावी वित्तीय प्रणाली

भारत सरकार ने भी रूकी पड़ी अर्थव्यवस्था में रफ्तार भरने के लिए भारी-भरकम वित्तीय पैकेज दिया है। यह बहुत कारगर साबित होगा, खासकर एमएसएमई के लिए दिया गया पैकेज उनके लिए संजीवनी साबित हो सकता है। कुछ अन्य क्षेत्रों जैसे उड्डयन और आटो को पुनर्जीवन देने की दरकार होगी। इसके साथ ही सरकार पर्यावरण पर प्रतिकूल असर डालने वाले लक्जरी क्षेत्र पर टैक्स में इजाफा करके अपने आय स्नोत को बढ़ा सकती है। तमाम तरीके की गैरजरूरी सब्सिडी की समीक्षा की जा सकती है।

4 कार्य-व्यवहार में दीर्घकालीन बदलाव को प्रोत्साहन

वर्तमान समस्या ने खपत की प्रणाली को बदल दिया है। घर से काम करने के चलते बिजली के इस्तेमाल का पैटर्न बदल चुका है। गैर जरूरी चीजों की खरीद पर अस्थायी रोक लग गई है। यह एक मौका है जब मांग को बढ़ाने के तरीकों पर जोर दिया जाए। जैसे ऊर्जा संरक्षण के लिए कुछ खास टैरिफ तैयार किए जा सकते हैं। रियूज, रिसाइकिलिंग और रिपेयर माडल वाली खपत से वृत्तीय अर्थव्यवस्था का सृजन हो सकता है। घर से काम करने वाली प्रणाली को समर्थन से सड़क पर भीड़भाड़ और वायु प्रदूषण कम होगा। नीतियों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिया जाए। कार संस्कृति को हतोत्साहित किया जाए।

5 सक्षम तकनीकी का नियमन

भविष्य में ज्यादा रोजगार की उम्मीदें गिग इकोनामी और ई-कामर्स सेक्टर देखी जा रही हैं। नई तकनीकों पर भरोसा किया जाए साथ ही डाटा प्राइवेसी और उपभोक्ता की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। इन बातों पर आज उठाए कदम तुरंत तो राहत देंगे ही, साथ ही अंत समय तक इकोनामिक रिकवरी सुनिश्चित करने वाले होंगे। इसी से टिकाऊ विकास संभव होगा।


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