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Road Accident : ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले हो जाए मनोवैज्ञानिक जांच तो घट जाएं हादसे

इसके आधार पर वह ऐसा साइकोमेट्रिक टूल विकसित कर चुके हैं जिससे हादसे का कारण बनने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों की पहचान की जा सके। इसके आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले व्यक्ति के मनोविज्ञान में आवश्यक सुधार संभव है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 06:40 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 06:43 PM (IST)
Road Accident : ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले हो जाए मनोवैज्ञानिक जांच तो घट जाएं हादसे
डीयू और बीएचयू के विद्यार्थियों ने तैयार किया है साइकोमेट्रिक टूल

विकास पांडेय, बिलासपुर। वाहन चालक की मनोदशा 78.4 फीसद सड़क हादसों में मुख्य कारण बनती है। ड्राइविंग सीट पर बैठे व्यक्ति की गलती कई लोगों के लिए प्राणघातक बन जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए एमेटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के दो पूर्व छात्रों द्वारा किए जा रहे साइकोमेट्रिक टेस्ट (शोध) को राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार मिला है। उनके शोध में इस बात के संकेत है कि ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले व्यक्ति के मनोविज्ञान का अध्ययन कर लिया जाए तो काफी हद तक सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।

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दोनों छात्र अब स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के कोरबा निवासी शैलेश जायसवाल दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के तो बरेली (उत्तर प्रदेश) निवासी हार्दिक सिंह आहूजा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के विद्यार्थी हैं। एमिटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. लोकेश गुप्ता के निर्देशन में वर्ष 2019 से चल रहे शोध में उन्होंने पाया कि मनोवैज्ञानिक अध्ययन के जरिये वाहन चालकों की दिमागी स्थिति का आकलन संभव है।

524 लोगों पर किया गया अध्ययन हुआ सफल

इसके आधार पर वह ऐसा साइकोमेट्रिक टूल विकसित कर चुके हैं, जिससे हादसे का कारण बनने वाले मनोवैज्ञानिक कारकों की पहचान की जा सके। इसके आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के पहले व्यक्ति के मनोविज्ञान में आवश्यक सुधार संभव है। अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोध में 1500 लोगों पर जांच प्रस्तावित है। इनमें 524 लोगों पर अध्ययन सफल रहा है।

इनका साइकोमेट्रिक टूल एआइयू (भारतीय विश्वविद्यालयों का संघ) के सौजन्य से राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल (आरजीपीवी) द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आनलाइन स्पर्धा में 150 प्रतिभागियों के बीच 75 हजार रुपये का प्रथम पुरस्कार जीत चुका है। एआइयू ने इस नवाचार को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के समक्ष शोध प्रस्तुत करने का अवसर उपलब्ध कराने की पेशकश की है। इस संबंध में दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि ड्राइविंग लाइसेंस के पहले मनोवैज्ञानिक जांच के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को कानून में बदलाव करना होगा।

ये है साइकोमेट्रिक टूल

दोनों छात्रों द्वारा तैयार 30 सवाल ही साइकोमेट्रिक टूल है। उक्त सवालों के जवाब के माध्यम से चालक की मनोदशा, वाहन परिचालन के समय उसके संभावित विचार और घटना के समय उसकी संभावित प्रतिक्रिया के बारे में जाना जा सकता है। इसके आधार पर नया ड्राइविंग लाइसेंस बनाने, ड्राइविंग लाइसेंस नवीनीकरण और संस्थानों में पेशेवर ड्राइवरों की नियुक्ति से पहले मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण या हस्तक्षेप (दवा आदि) पर विचार संभव होगा।

दिल्ली की दुर्घटना से मिली प्रेरणा

शैलेश ने बताया कि दिल्ली में देखा कि एक व्यक्ति दुर्घटना के बाद बाइक के नीचे दबा था। वह खुद निकलने का प्रयास कर रहा था। एक आदमी उसकी मदद के लिए आया तो घायल ने मदद करने वाले को ही झल्लाकर धक्का दे दिया। यहीं से उन्हें दुर्घटना के मनोविज्ञान पर शोध की प्रेरणा मिली। वहीं, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अनुसार 1.54 लाख लोग हर वर्ष भारत में मरते हैं सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं।


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