Rising India: कोरोना संकट के बीच ‘कांटेक्टलेस पेपर-सोप डिस्पेंसर’ भी मैदान में
कलाई पर बांधे जा सकने वाले इस डिस्पेंसर की कीमत महज 30 रुपये तक होगी। इसमें एक बार में पेपर-सोप के 25 पत्ते (स्टिप) रखे जा सकेंगे।
सुनील शर्मा, सोलन। कोरोनाकाल में ऐसे तमाम उत्पाद सामने आ रहे हैं, जिनकी अपनी तरह की आवश्यकता है। ऐसा ही एक प्रयास हिमाचल के युवा नवोन्मेषी ने किया है। कांटेक्टलेस पेपर-सोप डिस्पेंसर से पेपर-सोप का पत्ता सुरक्षित तरीके से हाथ में आ जाएगा। कलाई पर बांधे जा सकने वाले इस डिस्पेंसर की कीमत महज 30 रुपये तक होगी। इसमें एक बार में पेपर-सोप के 25 पत्ते (स्टिप) रखे जा सकेंगे।
आज नहीं तो कल कोरोना से विश्व को मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन हाथ साफ रखने के लिए प्रो. कुनाल सिंह के बनाए इस उपकरण की उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी। आज भी यात्रा इत्यादि के दौरान अनेक लोग पेपर-सोप का इस्तेमाल करते हैं। अब यह और भी आसान हो जाएगा। इस उपकरण की मदद से अब पेपर-सोप के पैकेट या गड्डी को बिना छुए ही काम बन जाएगा।
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला स्थित महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय (बद्दी) में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में पदस्थ असिस्टेंट प्रोफेसर कुनाल सिंह ने बताया कि यह बहुत सस्ता सौदा है। साबुन की तुलना में लिक्विड सोप और डिस्पेंसर महंगे पड़ते हैं, लेकिन साबुन का इस्तेमाल हर जगह नहीं किया जा सकता है, जिस कारण लोग सैनिटाइजर का अधिक इस्तेमाल करते हैं। वहीं, पेपर-सोप साबुन और लिक्विड सोप से सस्ता पड़ता है। बड़े स्तर पर उत्पादन से इस डिस्पेंसर की लागत और कम हो जाएगी।
कांटेक्टलेस पेपर डिस्पेंसर के ऊपर एक रोलर लगाया गया है। जैसे ही इसे दूसरे हाथ की कलाई से घुमाएंगे पेपर-सोप का पत्ता सरक कर हाथ में आ जाएगा। प्रो. कुनाल ने बताया कि सफाईकर्मी संक्रमित वस्तुओं को छूते हैं और हाथ धोने के लिए एक ही साबुन का इस्तेमाल करते हैं। यह उपकरण इनके लिए बेहद कारगर साबित होगा। वैसे भी संक्रमण से बचने के लिए हाथों को नियमित अंतराल पर धोते रहना ही आवश्यक है। सैनिटाइज न भी करें तो यह पर्याप्त है। इस उपकरण के लिए कुनाल को पेटेंट भी मिल गया है। अब वह इसका उत्पादन शुरू करने की योजना बना रहे हैं।