हैदराबाद मुठभेड़ मामले में जांच आयोग के अधिकार और कर्तव्य तय
आयोग इस क्रम में यदि कोई अपराध हुआ था तो उसे भी निर्धारित करेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने हैदराबाद मुठभेड़ मामले की जांच के लिए शीर्ष कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय आयोग के अधिकार और कर्तव्य का निर्धारण कर दिया है। महिला वेटेनरी डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले के चार आरोपितों को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर की अगुआई में गठित आयोग के लिए नियम एवं शर्ते तय करते हुए अदालत ने कहा कि यह चारों आरोपितों के मारे जाने की परिस्थितियों की जांच करेगा। आयोग इस क्रम में यदि कोई अपराध हुआ था, तो उसे भी निर्धारित करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने कहा कि यदि कोई अपराध पाया जाता है तो संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी। आयोग के अध्यक्ष को प्रति बैठक 1.5 लाख रुपये और सदस्यों को एक लाख रुपये मिलेंगे।
कलबुर्गी हत्याकांड की निगरानी नहीं करेगा सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह अब एमएम कलबुर्गी की हत्या मामले की निगरानी नहीं करेगा। कर्नाटक के धारवाड़ में 30 अगस्त 2015 को साहित्यकार कलबुर्गी की हत्या कर दी गई थी।
जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने पाया कि मामले में सत्र अदालत में सुनवाई के लिए आरोपपत्र दायर किया जा चुका है। कर्नाटक सरकार के वकील ने कहा कि राज्य हाई कोर्ट भी मामले की प्रगति की निगरानी बंद कर चुका है। विशेष जांच टीम ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट में बताया है कि मामले के दो मुख्य आरोपित फरार हैं और उनका पता नहीं चल पाया है।
हंपी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति कलबुर्गी की हत्या धारवाड़ में कल्याण नगर में स्थित उनके आवास में ही कर दी गई थी। वह प्राचीन कन्नड़ साहित्य में साहित्य अकादमी से सम्मानित लेखक थे। (आइएएनएस)