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13 साल बाद उम्मीदों पर कितना खरा उतरा RTI, कुछ ऐसा बयां करते है आंकड़े

देश के इतिहास में इस कानून ने कई अहम घोटालों को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई। लोगों को मनवांछित सूचना तय समय में पाने के काबिल बनाया।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 10:46 AM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 11:18 AM (IST)
13 साल बाद उम्मीदों पर कितना खरा उतरा RTI, कुछ ऐसा बयां करते है आंकड़े
13 साल बाद उम्मीदों पर कितना खरा उतरा RTI, कुछ ऐसा बयां करते है आंकड़े

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 13 साल पहले आज ही के दिन लोगों को सशक्त करने वाला सबसे महत्वपूर्ण सूचना का अधिकार कानून, 2005 लागू हुआ। देश के इतिहास में इस कानून ने कई अहम घोटालों को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई। लोगों को मनवांछित सूचना तय समय में पाने के काबिल बनाया। आइए जानते हैं कि इस कानून से जो उम्मीद थी, वह कहां तक पूरी हुई? ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया ने इस कानून को लेकर आरटीआइ के माध्यम से अहम जानकारियां जुटाई हैं।

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वैश्विक सूचकांक में छठे स्थान पर

हाल ही में इंटरनेशनल राइट टू नो डे (28 सितंबर, 2018) को सूचना के अधिकार कानून को प्रभावी तरीके से लागू करने वाले 123 देशों की सूची जारी हुई। 128 अंकों के साथ इसमें भारत को छठा स्थान मिला। शीर्ष स्थान न मिल पाना ही बताता है कि दुनिया के अन्य देशों में इस कानून को कितने प्रभावी तरीके से लागू किया गया है।

दूसरी अपील और शिकायतें
2005-16 के दौरान कुल 18,47,374 दूसरी अपील और शिकायतों का निपटारा किया गया।
अव्वल: तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, राजस्थान 
फिसड्डी: सिक्किम, नगालैंड, मिजोरम

कुल आरटीआइ आवेदन
2005-16 के दौरान 2.525 करोड़ आरटीआइ आवेदन आए अव्वल: महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और राजस्थान
फिसड्डी: मेघालय, सिक्किम, मणिपुर

आयोगों की वेबसाइटें

- लोगों की आसानी के लिए 29 में से केवल 8 राज्य ही अपनी वेबसाइट में स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं

- 29 में से 11 राज्यों में ऑनलाइन अपील की सुविधा

- 29 में से 14 राज्य मामलों की स्थिति अपडेट करते हैं जबकि 8 मामले के निपटारे और लंबित की सूचना देते हैं

- केवल हरियाणा और मणिपुर ही अपने सूचना आयुक्तों की संपत्ति का विवरण सार्वजनिक करते हैं

राज्य सूचना आयोगों की सालाना रिपोर्ट

- छत्तीसगढ़ एकमात्र ऐसा राज्य रहा जिसके राज्य सूचना आयोग ने अपनी वेबसाइट पर नियमित रूप से 2005-17 तक सालाना रिपोर्ट प्रकाशित की।

- 2016-17 के लिए 29 में से केवल 10 राज्यों ने सालाना रिपोर्ट अपडेट की जुर्माना वाले मामले

- राज्य सूचना आयोगों द्वारा जुर्माने वाले 11356 मामलों को निपटाया

- केंद्रीय सूचना आयोग ने 2005-16 के दौरान कुल एक करोड़, 93 लाख, 24 हजार पचहत्तर रुपये का जुर्माना लगाया।

जुर्माने की रकम में अव्वल राज्य: कर्नाटक, हरियाणा, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात

जुर्माने के मामले में अव्वल राज्य: राजस्थान, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, कर्नाटक

रिक्त पद

- 29 में से केवल 12 राज्यों के पास मुख्य चुनाव आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के पद पूरी तरह भरे हैं

- केंद्र और राज्य स्तर पर 156 में से 48 (30.8 फीसद) सूचना आयुक्तों के पद रिक्त हैं

- आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नगालैंड में कोई मुख्य सूचना आयुक्त नहीं है। 


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