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रिपोर्ट में खुलासा : ऊपर से चमकदार भारतीय एयरलाइन उद्योग भीतर से खस्ताहाल

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर जीएसटी की ऊंची दर और एटीएफ की तेजी से बढ़ती कीमत ने उद्योग की उम्मीदों को झटका दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 10:30 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 10:31 PM (IST)
रिपोर्ट में खुलासा : ऊपर से चमकदार भारतीय एयरलाइन उद्योग भीतर से खस्ताहाल
रिपोर्ट में खुलासा : ऊपर से चमकदार भारतीय एयरलाइन उद्योग भीतर से खस्ताहाल

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गुरुवार को जेट एयरवेज की मुंबई-जयपुर फ्लाइट में बनी अप्रिय स्थिति ने एक बार फिर भारतीय विमानन उद्योग की अंदरूनी स्थिति पर सवाल खड़ा कर दिया है।

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सार्वजनिक क्षेत्र की एयर इंडिया हो अथवा निजी क्षेत्र की इंडिगो, जेट एयरवेज या स्पाइसजेट, आंकड़ों में ऊंची उड़ान भर रहीं इन सभी विमानन कंपनियों की हालत भीतर से खराब चल रही है। रेटिंग एजेंसी इकरा की रिपोर्ट इसकी ताकीद करती है।

इसके मुताबिक भारतीय एयरलाइन उद्योग का सम्मिलित घाटा 2017-18 के 2500 करोड़ रुपये के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 3600 करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। एटीएफ की बढ़ती कीमतों के अलावा कम पड़ती एयरपोर्ट क्षमता तथा सिकुड़ते मुनाफे ने उद्योग की हालत खस्ता कर दी है।

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एयर इंडिया का 50 हजार करोड़ का संयुक्त घाटा और 55 हजार करोड़ का कर्ज तो सर्वविदित है। 41 फीसद हिस्से के साथ मार्केट लीडर कहलाने वाली निजी क्षेत्र की इंडिगो की हालत भी अच्छी नहीं है। यह उसके घटते उपलब्ध सीट किलोमीटर से स्पष्ट है जो 2016-17 के 28.1 फीसद से घटकर 2017-18 में 10.3 फीसद पर आ गया।

विमानों की विलंबित डिलीवरी और प्रैट एंड ह्विटनी इंजनों की तकनीकी समस्याओं ने कंपनी की मुश्किलों को और बढ़ाया है। इकरा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय एयरलाइन उद्योग मुश्किल से 15-17 फीसद क्षमता वृद्धि की हैसियत में दिखाई देता है।

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर जीएसटी की ऊंची दर और एटीएफ की तेजी से बढ़ती कीमत ने उद्योग की उम्मीदों को झटका दिया है। हाल में संपन्न एविएशन समिट में आयटा ने इस संदर्भ में सरकार को चेताया भी था।

आयटा का कहना है कि इन स्थितियों के बने रहने से विमानन उद्योग चौपट हो सकता है। एटीएफ के दाम एक साल में 13 हजार रुपये प्रति किलोलीटर अर्थात 22 फीसद से ज्यादा बढ़ चुके हैं। 14-15 फीसद की शानदार दर से बढ़ती यात्री संख्या उद्योग के लिए चुनौती बन गई है।

वैसे तो लगभग सभी विमानन कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन में गिरावट देखने में आ रही है, लेकिन जेट एयरवेज की हालत ज्यादा नाजुक है। नकदी संकट से त्रस्त एयरलाइन को कई तरह की ऑपरेशनल समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। गुरुवार की घटना से पहले ही डीजीसीए ने इसके संरक्षा पहलुओं की जांच का एलान कर दिया था।


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