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भारत में एक अरब आबादी जल संकट वाले इलाकों में, ब्रिटिश एनजीओ का दावा

वर्ष 2040 तक ऐसी आशंका है कि मध्य पूर्व अधिकांश उत्तरी अफ्रीका पाकिस्तान टर्की अफगानिस्तान और स्पेन समेत 15 देशों में पानी की अत्यधिक किल्लत हो जाएगी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 20 Mar 2019 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 20 Mar 2019 09:40 PM (IST)
भारत में एक अरब आबादी जल संकट वाले इलाकों में, ब्रिटिश एनजीओ का दावा
भारत में एक अरब आबादी जल संकट वाले इलाकों में, ब्रिटिश एनजीओ का दावा

नई दिल्ली, आइएएनएस। ब्रिटेन से संचालित एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ने दावा किया है कि भारत में एक अरब की आबादी पानी की किल्लत वाले स्थानों में रह रही है। इसमें साठ करोड़ लोग अत्यधिक किल्लत वाले इलाके में रहते हैं। पूरे विश्व में पानी की कमी वाले स्थान में रहने वालों की कुल संख्या करीब चार अरब है। कम से कम साल के कुछ अवसरों पर इन स्थानों में पानी की मांग बढ़ जाती है और आपूर्ति कम हो पाती है।

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ब्रिटेन से संचालित 'वॉटर एड' एनजीओ ने अपनी ताजा रिपोर्ट में दावा किया कि भारत में पानी की किल्लत वाले स्थानों में रहने वालों की तादाद वर्ष 2050 तक पांच अरब होने की उम्मीद है। 'बिनीथ द सर्फेस' शीर्षक से जारी यह रिपोर्ट आगामी 22 मार्च को 'व‌र्ल्ड वॉटर डे' मनाने के मौके पर जारी की गई है। जल स्रोत के बढ़ती मांग के चलते अत्यधिक दोहन, पर्यावरण और जनसंख्या में बदलाव के चलते ऐसा हुआ है।

वर्ष 2040 तक ऐसी आशंका है कि मध्य पूर्व, अधिकांश उत्तरी अफ्रीका, पाकिस्तान, टर्की, अफगानिस्तान और स्पेन समेत 15 देशों में पानी की अत्यधिक किल्लत हो जाएगी। भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में पानी की अधिक कमी होगी। वैश्विक भूमिगत जल की कमी वर्ष 2000 से 2010 के बीच बढ़कर करीब 22 फीसद हो गई है। लेकिन उसी अवधि में भारत में भूमिगत जल की किल्लत 23 फीसद पहुंच गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सबसे अधिक भूमिगत जल का उपयोग करता है। विश्व के कुल भूमिगत जल का 24 फीसद हिस्सा भारत इस्तेमाल करता है। इतना ही नहीं, भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा भूमिगत जल का निर्यातक देश है। यह पूरे विश्व का 12 फीसद है। उल्लेखनीय है कि यह रिपोर्ट ऐन होली के त्योहार पर आई है।

बताया जाता है कि 1981 में स्थापित यह 'नॉन प्रॉफिट' गैर सरकारी संगठन 'वॉटर एड' दरअसल ब्रिटेन से संचालित है। इससे ब्रिटेन के प्रिंस चा‌र्ल्स भी जुड़े रह चुके हैं। यह संस्था अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत विश्व के 28 देशों में स्वच्छ जल, स्वच्छता आदि के लिए काम कर रही है।


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